मेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-2
मेरी कहानी के पहले भागमेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-1
में आपने पढ़ा कि मैं जयपुर घूमने के लिए अपनी मौसी के घर आया. मेरी मौसी बहुत सेक्सी हैं तो मेरी नजर उनके कामुक बदन पर ही रहती, मौसी भी समझ गयी थी मैं उनके जिस्म को देखता रहता हूँ वासना भरी निगाहों से!
अब आगे:
दोपहर का खाना बनाने में मैंने मौसी की मदद की, फिर बच्चे स्कूल से आ गए, उनको खाना खिला कर मौसी ने उनको लेटने को कहा।
मैं वापिस मौसी के बेडरूम में आकर लेट गया।
थोड़ी देर में मौसी भी आ गई और मेरी ही बगल में लेट गई। वो उल्टी लेटी थी, और उनके उभरे हुये चूतड़ देख कर मेरे मन में तूफान उठ रहा था, मेरा दिल कर रहा था, मैं भी मौसी के ऊपर उल्टा हो कर लेट जाऊँ, ताकि मेरा लंड मैं मौसी की गांड पे घिसा कर मजा ले सकूँ।
कुछ देर उल्टी लेटने के बाद मौसी सीधी हो कर लेट गई, मैं करवट ले कर मौसी की तरफ लेटा था और मौसी भी मेरी तरफ करवट ले कर लेटी थी। इस पोज में उनकी कमीज़ के गले उनका क्लीवेज बहुत ही स्पष्ट रूप में मेरे सामने दिख रहा था और मैं उनसे बातें करते हुये, बार बार उनके क्लीवेज को भी घूर रहा था। मैं उनके मम्मों को घूर रहा था और वो जैसे मेरी आँखें पढ़ रही थी कि मैं क्या देख रहा हूँ।
अब मुझे भी लगने लगा कि मौसी के इरादे भी कुछ ठीक नहीं हैं, क्योंकि कोई भी औरत अपने पति या प्रेमी के सिवा किसी और को अपने मम्मे नहीं ताड़ने देती, जब तक के उसके अपने मन में खोट न हो। मेरा दिल बार बार कर रहा था कि मैं किसी न किसी बहाने मौसी के मम्मों को छू कर देखूँ!
न जाने मुझे ��्यों ऐसा विश्वास सा हो चला था कि अगर मैं मौसी के मम्मों को हाथ लगाऊँगा, तो वो बुरा नहीं मानेगी। यही सोचते हुये अचानक मेरा ध्यान मौसी के गले में पहनी हुई सोने की चेन पर गया।
मैंने पूछा- आपने ये जो सोने की चेन पहनी है, क्या सिर्फ चेन है या इसमें लॉकेट भी है?
मौसी ने अपने क्लीवेज में फंसी उस चेन की और देखा और बोली- नहीं, लॉकेट भी है।
इस पहले कि मौसी उस चेन को अपने दोनों मम्मों की गिरफ्त से बाहर निकालती, मैंने एक दम से अपना हाथ बढ़ाया और अपनी दो उँगलियों से उनके क्लीवेज को छूते हुये, उस चेन को खींच कर उनके मम्मों से बाहर निकाल लिया।
चेन में एक छोटा सा दिल के आकार का लॉकेट था, मैंने उसे अपने हाथ में पकड़ कर सहलाया, लॉकेट चूचियों में दब कर गर्म था, और मैंने मन में सोचा- हाय ज़ालिम कितनी मस्त जगह में रहता है तू, और एक हम हैं जो तरस रहे हैं।
मैंने लॉकेट हाथ में पकड़ा तो मौसी सीधी हो कर लेट गई। मैंने उनका लॉकेट वापिस उनके सीने पे रख दिया, पर सिर्फ लॉकेट नहीं रखा, अपना हाथ भी मौसी के मोटे नर्म मम्मे पे टिका कर रखा। मैंने हाथ रखा, और मौसी ने मेरी आँखों में देखा। इस बार मैंने जैसे उनकी आँखों में भी वासना देखी, मैंने अपना हाथ जो सिर्फ उनके सीने पे रखा था, पूरा खोल कर उनके मम्मे पर रख दिया.
मेरी पूरी हथेली, उनके मम्मे पर थी, हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। वो मेरी पहलकदमी का इंतज़ार कर रही थी और मैं उनके पूरी तरह पस्त होने का कि जब मैं उनका मम्मा अपने हाथ में पकड़ कर दबाऊँ, तो वो ऐसे ही चुपचाप लेटी रहें।
इसी कश्मकश में मैंने जैसे ही मौसी के मम्मे को पूरी तरह से अपने हाथ की गिरफ्त में पकड़ा, तभी उनके छोटा बेटा दौड़ता हुआ अंदर आ गया और उसे देखते ही मौसी ने एकदम से मेरा हाथ अपने सीने से हटा दिया और उठ कर बैठ गई और मैं मन मसोस कर रह गया।
वो कौन सी गाली थी, जो मैंने उस बच्चे को नहीं दी, जिसने मेरी सारी सेटिंग खराब कर दी।
मेरी मौसी अपने बच्चों में बिज़ी हो गई, मैं बेड पे लेटा टीवी देखता रहा। पहले सोचा कि बाथरूम में जाकर मौसी का मम्मा छूने की खुशी में मुट्ठ मार कर आऊँ, फिर सोचा रहने दे, आगे देखते हैं, क्या पता रात को चूत ही मिल जाए मारने को।
उसके बाद भी मैं मौसी के आस पास ही रहा।
शाम की चाय देने जब मौसी आई, उस वक्त भी मैं बिस्तर पर लेटा था, अब जब मौसी झुकी और मैंने फिर से जानबूझ कर उनके मम्मों को घूरा तो वो सीधी खड़ी नहीं हुई, बल्कि झुकी रही, जैसे कह रही हो, देख ले जी भर के!
शाम को वैसे ही थोड़ा बाहर घूमने चला गया। घूम फिर कर आया, आते हुये एक आईसक्रीम की बड़ी वाली ब्रिक ले आया कि खाने के बाद सब खाएँगे।
करीब 7 बजे बच्चे अपनी कोचिंग क्लास में गए थे, मौसी रसोई में खाना बना रही थी।
मैंने फिर से बनियान और निकर पहन ली, मगर नीचे से चड्डी नहीं पहनी। किचन में जानबूझ कर पानी पीने के बहाने गया, देखा एक तरफ गैस पर सब्जी बन रही थी और मौसी रोटी के लिए आटा गूँथ रही थी। आता गूँथते हुये वो हिल रही थी और उनके गोल चूतड़ भी हिल रहे थे। पीछे से देखने से मौसी के जिस्म के उभार मुझे बड़े शानदार लग रहे थे।
मैंने फ्रिज से पानी निकाला और पीने लगा, मगर मैं मौसी की मस्त गांड देख रहा था। मौसी जो आता गूँथ रही थी, ना जाने क्यों रुक गई। मुझे नहीं समझ आई कि मुझे क्या हुआ, जैसे मुझे सेक्स का कोई दौरा पड़ा हो। मैंने गिलास रखा और आगे बढ़ कर मौसी को अपनी आगो�� में ले लिया। अभी मैंने सिर्फ उन्हे अपनी बाहों में कसा, सिर्फ ये देखने के लिए के उनका रिएक्शन क्या है।
वो स्तब्ध सी खड़ी रही, जब उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो मैंने अपना लंड भी उनकी गांड से सटा दिया और अपने दोनों हाथ उनके पेट से ऊपर ले जा कर उनके दोनों मम्मे पकड़ लिए।
जिन मम्मों को मैं देख देख कर तरस रहा था, अब वो मेरे हाथों में थे, मैंने अपनी मुट्ठियाँ भींच ली और मौसी के दोनों मम्मों को जैसे निचोड़ डालने की हद तक दबा दिया।
मौसी के मुंह से पहली बार सिसकी निकली- इस्स…
उन्होंने अपने हाथ नीचे लटका दिये और अपना सर मेरे कंधे पे टिका दिया। यह उनका आंशिक समर्पण था।
मैंने अपनी कमर आगे की और अपना तना हुआ लंड उनकी गांड की दरार के साथ लगा दिया, उन्होंने भी जैसे अपने चूतड़ फैला कर मेरे लंड को उस दरार में समा जाने की जगह दी।
मैंने मौसी के दोनों मम्मों के दोनों निप्पल अपने हाथों में पकड़े और उनको अपनी उँगलियों से मसला।
जैसे ही उनके निप्पल मसले, मौसी के मुंह से कई बार सिसकारियाँ फूटी।
मैं जान गया कि मौसी इस वक़्त पूरी गर्म हैं, अगर मैंने अभी हथौड़ा मार दिया तो ठीक, वरना ये गई हाथ से… मैंने बिना कोई देरी किए अपनी निकर नीचे की और अपना तना हुआ लंड बाहर
निकाल लिया और फिर एक हाथ से मौसी की लेगिंग भी नीचे खिसका दी, शर्ट का पल्ला ऊपर उठाया तो उनके गोरे और गोल चूतड़ पहली बार देखे, मगर अभी देखने का नहीं, करने का वक्त था, मैं चाहता था जितनी जल्दी मौसी को काबू कर लूँ उतना अच्छा।
और कुछ नहीं तो मैंने अपने लंड पर काफी सारा थूक लगाया और मौसी की गांड पर टिका कर घस्से मारने लगा। मेरी इच्छा थी कि मेरा लंड मौसी की गांड में ही घुस जाए। मैं लंड आगे को ठेलता तो मौसी भी आगे को सरक जाती।
मगर कब तक, आगे स्लैब आ गई, मौसी का पेट उस से लग गया, मैं और काफी सारा थूक अपने लंड पे टपकाया, और फिर उसी थूक से मौसी की गांड गीली करके मैंने जैसे फिर से ज़ोर लगाया, तो जब तक मौसी चिल्ला कर मुझे रोकती- अबे कुनाल क्या कर रहा है, रुक, रुक, एक मिनट रुक!
उतनी देर में मैंने अपनी पूरी ताकत से अपनी कमर आगे बढ़ाई और मेरे लंड का टोपा मौसी की गांड में घुस गया और मौसी का ‘रुक रुक’ उनकी “आह… र्हर्हर… ऊई माँ… मर गई.” में बदल
गया।
मेरे लंड का टोपा उनकी गांड में था, वो खीज कर मुझसे बोली- अबे कमीने ये क्या कर दिया तूने? मैंने आज तक ये काम नहीं किया था, तूने कहाँ डालना था और कहाँ डाल दिया। फाड़ के रख दी मेरी। पीछे हट, निकाल इसे!
और मौसी ने जब मुझे ज़ोर से पीछे को धकेला, तो मेरा लंड मौसी की गांड से बाहर निकल आया। फनफनाता हुआ मेरा लंड 45 डिग्री के कोण पर ऊपर को मुंह उठाए खड़ा था। मौसी ने अपनी गांड पर हाथ लगा कर देखा, जैसे देख ��ही हो कहीं खून तो नहीं निकल आया।
मैं पीछे खड़ा था, मौसी गुस्से में थी, वो फिर मुझ पर गरजी- पागल पता भी है तूने क्या किया है? जब क्या करना है, कहाँ करना है, तो पंगा क्यों लिया?
मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैंने कहा- मौसी, अगर आप गांड मरवा के देखो न तो आपको चूत मरवाने से ज़्यादा मज़ा आएगा।
मौसी ने मुझे देख कर पूछा- तुझे कैसे पता?
मैंने झूठ ही कह दिया- मेरी गर्लफ्रेंड कहती है।
वो हैरान सा हो कर बोली- तेरी गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने कहा- हाँ है।
मौसी ने पूछा- क्या नाम है उसका? मैंने फिर झूठ बोला- शिवानी।
मौसी ने अपना लोअर ऊपर किया और हाथ धो कर फिर से आटा गूँथने लगी। मैंने फिर से मौसी को पीछे से पकड़ा तो वो बोली- अभी नहीं, अभी मुझे तेरी इस पागलपन वाली हरकत से दर्द हो रहा है।
मैंने बिना समय गँवाए पूछ लिया- तो फिर रात को?
वो मुस्कुरा दी और सर हिला कर बोली- हाँ, रात को!
मैं झूम उठा।
फिर मौसी बोली- अब जाओ, और बैठ कर टी वी देखो।
मैंने अपने कपड़े ठीक किए और बाहर आकर टी वी देखने लगा, मगर टी वी में किसका दिल था।
बच्चे आ गए, सबने खाना खाया, और फिर टी वी देखने लगे मगर मेरे मन में रह रह कर बेचैनी हो रही थी, मैं इंतज़ार कर रहा था कि कब ये बच्चे सो जाएँ, और कब मैं इनकी माँ चोदूँ।
खैर बड़ी मुश्किल से 10 बजे तो मौसी ने अपने बच्चों को सोने के लिए भेज दिया। वो सोने चले गए तो मौसी ने पहले जा कर अपने कमरे को सेट किया, बिस्तर पर नई चादर बिछाई, लाइट बंद करके खुशबू वाली मोमबत्ती लगा दी।
फिर मेरी मौसी ने कपड़े बदल कर काले रंग की नई नाईटी पहनी, दोबारा से सारा मेकअप किया, बाल बनाए, सेंट लगाया, जिसकी खुशबू से सारा घर महक गया।
मैंने कहा- मौसी मैं चाहता हूँ कि पहले मैं आपके बदन मालिश करूँ, फिर आपसे प्यार करूँ।
मौसी बोली- ठीक है, मैं तेल गर्म करके लाती हूँ।
वो किचन में गई और मैं जा कर बेड पे बैठ गया। मैंने अपनी निकर के साथ टी शर्ट पहनी पर चड्डी नहीं पहनी।
थोड़ी ही देर में मौसी किचन से तेल की कटोरी लिए आ गई। मैंने तेल की कटोरी साइड पे रखवा दी और मौसी का हाथ पकड़ कर उन्हें अपने सामने खड़ा किया। मैंने उनकी आँखों में देखा, उनके चेहरे पर खुशी की मुस्कान थी। मैंने मौसी अपने गले से लगाया, तो मौसी ने भी मुझे अपनी आगोश में ले लिया।
“ओह मौसी, आपको नहीं पता कि आपने मुझे ज़िंदगी का कौन सा सुख दिया है। आपका प्यार पा कर मैं तो जैसे किसी और ही दुनिया में चला गया हूँ.” कहते हुये मैंने मौसी की पीठ के मांसल उभार को अपने हाथों में पकड़ कर ऐसे दबाया जैसे मम्मे दबाते हैं।
उनकी पीठ का मांस भी उनके मम्मों की तरह भरपूर और नर्म था।
मौसी बोली- मैं भी अपने इस नए रिश्ते से बहुत खुश हूँ। मैंने भी नहीं सोचा था, जिस प्यार को मैं तरस���ी हूँ, वो मुझे अपने ही घर में मिल जाएगा।
मैं मौसी को बेड पे ले गया, उनको बेड पे बिठाया, पर वो लेट गई, मैंने उनके माथे से उनकी जुल्फ ठीक की और आगे बढ़ कर उनके होंठों पे एक किस किया। मेरे किस के जवाब में उन्होंने भी मेरे होंठों पे किस किया, उन की लिपस्टिक का टेस्ट मुझे अच्छा लगा। मैंने फिर उनके माथे, आँखों, नाक, गाल होंठ, ठोड़ी सब जगह किस किया और किस करते करते नीचे को गया, गले के बाद सीने पे, दोनों मम्मो पे, पेट पे, कमर पे, पेडू पे, चूत पे, जांघों पे, घुटनो पे और फिर पाँव तक जा पहुंचा।
मौसी के पाँव अपने हाथ में पकड़ कर उनके अंगूठे को जब मैंने अपने मुंह में लेकर चूसा तो मौसी ने आँखें बंद करके लंबी साँस छोड़ी। मैंने उनके पाँव को सहलाया और फिर उनकी टांग पर हाथ फिराते हुये उनकी नाईटी को ऊपर उठाने लगा। घुटने से लेकर मैंने उनकी नाईटी उनकी जांघों तक उठा थी। फिर दोनों हाथों से मौसी की मोटी, मांसल जांघें सहलाते हुये मैंने उनकी नाईटी कमर से ऊपर तक उठा दी।
मेरी आँखों के सामने मेरी सगी मौसी की चिकनी चूत, शायद अभी शेव की होगी, एक भी बाल नहीं था चूत पर… सामने से थोड़ी सी काली, थोड़ा सा भगना��ा का मांस बाहर को निकला हुआ।
मैंने उस साँवले से मांस को चूमा तो मौसी की चूत की गंध मेरी साँसों में आई।
कितनी मादक गंध होती है चूत की।
शायद औरतों को लंड की गंध भी ऐसे ही मादक लगती होगी।
मैंने उनकी नाईटी और ऊपर उठाई और गले तक ले आया और पूरी ही उतार कर एक तरफ रख दी। हल्की रोशनी में मैंने पहली बार मौसी को पूरी तरह से नंगी देखा। सिर्फ नंगी नहीं, नंगी और कामुक, एक चुदासी औरत!
कहानी जारी रहेगी.[email protected]
कहानी का तीसरा और अंतिम भाग: मेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-3
मेरी कहानी के पहले भागमेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-1
में आपने पढ़ा कि मैं जयपुर घूमने के लिए अपनी मौसी के घर आया. मेरी मौसी बहुत सेक्सी हैं तो मेरी नजर उनके कामुक बदन पर ही रहती, मौसी भी समझ गयी थी मैं उनके जिस्म को देखता रहता हूँ वासना भरी निगाहों से!
अब आगे:
दोपहर का खाना बनाने में मैंने मौसी की मदद की, फिर बच्चे स्कूल से आ गए, उनको खाना खिला कर मौसी ने उनको लेटने को कहा।
मैं वापिस मौसी के बेडरूम में आकर लेट गया।
थोड़ी देर में मौसी भी आ गई और मेरी ही बगल में लेट गई। वो उल्टी लेटी थी, और उनके उभरे हुये चूतड़ देख कर मेरे मन में तूफान उठ रहा था, मेरा दिल कर रहा था, मैं भी मौसी के ऊपर उल्टा हो कर लेट जाऊँ, ताकि मेरा लंड मैं मौसी की गांड पे घिसा कर मजा ले सकूँ।
कुछ देर उल्टी लेटने के बाद मौसी सीधी हो कर लेट गई, मैं करवट ले कर मौसी की तरफ लेटा था और मौसी भी मेरी तरफ करवट ले कर लेटी थी। इस पोज में उनकी कमीज़ के गले उनका क्लीवेज बहुत ही स्पष्ट रूप में मेरे सामने दिख रहा था और मैं उनसे बातें करते हुये, बार बार उनके क्लीवेज को भी घूर रहा था। मैं उनके मम्मों को घूर रहा था और वो जैसे मेरी आँखें पढ़ रही थी कि मैं क्या देख रहा हूँ।
अब मुझे भी लगने लगा कि मौसी के इरादे भी कुछ ठीक नहीं हैं, क्योंकि कोई भी औरत अपने पति या प्रेमी के सिवा किसी और को अपने मम्मे नहीं ताड़ने देती, जब तक के उसके अपने मन में खोट न हो। मेरा दिल बार बार कर रहा था कि मैं किसी न किसी बहाने मौसी के मम्मों को छू कर देखूँ!
न जाने मुझे ��्यों ऐसा विश्वास सा हो चला था कि अगर मैं मौसी के मम्मों को हाथ लगाऊँगा, तो वो बुरा नहीं मानेगी। यही सोचते हुये अचानक मेरा ध्यान मौसी के गले में पहनी हुई सोने की चेन पर गया।
मैंने पूछा- आपने ये जो सोने की चेन पहनी है, क्या सिर्फ चेन है या इसमें लॉकेट भी है?
मौसी ने अपने क्लीवेज में फंसी उस चेन की और देखा और बोली- नहीं, लॉकेट भी है।
इस पहले कि मौसी उस चेन को अपने दोनों मम्मों की गिरफ्त से बाहर निकालती, मैंने एक दम से अपना हाथ बढ़ाया और अपनी दो उँगलियों से उनके क्लीवेज को छूते हुये, उस चेन को खींच कर उनके मम्मों से बाहर निकाल लिया।
चेन में एक छोटा सा दिल के आकार का लॉकेट था, मैंने उसे अपने हाथ में पकड़ कर सहलाया, लॉकेट चूचियों में दब कर गर्म था, और मैंने मन में सोचा- हाय ज़ालिम कितनी मस्त जगह में रहता है तू, और एक हम हैं जो तरस रहे हैं।
मैंने लॉकेट हाथ में पकड़ा तो मौसी सीधी हो कर लेट गई। मैंने उनका लॉकेट वापिस उनके सीने पे रख दिया, पर सिर्फ लॉकेट नहीं रखा, अपना हाथ भी मौसी के मोटे नर्म मम्मे पे टिका कर रखा। मैंने हाथ रखा, और मौसी ने मेरी आँखों में देखा। इस बार मैंने जैसे उनकी आँखों में भी वासना देखी, मैंने अपना हाथ जो सिर्फ उनके सीने पे रखा था, पूरा खोल कर उनके मम्मे पर रख दिया.
मेरी पूरी हथेली, उनके मम्मे पर थी, हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। वो मेरी पहलकदमी का इंतज़ार कर रही थी और मैं उनके पूरी तरह पस्त होने का कि जब मैं उनका मम्मा अपने हाथ में पकड़ कर दबाऊँ, तो वो ऐसे ही चुपचाप लेटी रहें।
इसी कश्मकश में मैंने जैसे ही मौसी के मम्मे को पूरी तरह से अपने हाथ की गिरफ्त में पकड़ा, तभी उनके छोटा बेटा दौड़ता हुआ अंदर आ गया और उसे देखते ही मौसी ने एकदम से मेरा हाथ अपने सीने से हटा दिया और उठ कर बैठ गई और मैं मन मसोस कर रह गया।
वो कौन सी गाली थी, जो मैंने उस बच्चे को नहीं दी, जिसने मेरी सारी सेटिंग खराब कर दी।
मेरी मौसी अपने बच्चों में बिज़ी हो गई, मैं बेड पे लेटा टीवी देखता रहा। पहले सोचा कि बाथरूम में जाकर मौसी का मम्मा छूने की खुशी में मुट्ठ मार कर आऊँ, फिर सोचा रहने दे, आगे देखते हैं, क्या पता रात को चूत ही मिल जाए मारने को।
उसके बाद भी मैं मौसी के आस पास ही रहा।
शाम की चाय देने जब मौसी आई, उस वक्त भी मैं बिस्तर पर लेटा था, अब जब मौसी झुकी और मैंने फिर से जानबूझ कर उनके मम्मों को घूरा तो वो सीधी खड़ी नहीं हुई, बल्कि झुकी रही, जैसे कह रही हो, देख ले जी भर के!
शाम को वैसे ही थोड़ा बाहर घूमने चला गया। घूम फिर कर आया, आते हुये एक आईसक्रीम की बड़ी वाली ब्रिक ले आया कि खाने के बाद सब खाएँगे।
करीब 7 बजे बच्चे अपनी कोचिंग क्लास में गए थे, मौसी रसोई में खाना बना रही थी।
मैंने फिर से बनियान और निकर पहन ली, मगर नीचे से चड्डी नहीं पहनी। किचन में जानबूझ कर पानी पीने के बहाने गया, देखा एक तरफ गैस पर सब्जी बन रही थी और मौसी रोटी के लिए आटा गूँथ रही थी। आता गूँथते हुये वो हिल रही थी और उनके गोल चूतड़ भी हिल रहे थे। पीछे से देखने से मौसी के जिस्म के उभार मुझे बड़े शानदार लग रहे थे।
मैंने फ्रिज से पानी निकाला और पीने लगा, मगर मैं मौसी की मस्त गांड देख रहा था। मौसी जो आता गूँथ रही थी, ना जाने क्यों रुक गई। मुझे नहीं समझ आई कि मुझे क्या हुआ, जैसे मुझे सेक्स का कोई दौरा पड़ा हो। मैंने गिलास रखा और आगे बढ़ कर मौसी को अपनी आगो�� में ले लिया। अभी मैंने सिर्फ उन्हे अपनी बाहों में कसा, सिर्फ ये देखने के लिए के उनका रिएक्शन क्या है।
वो स्तब्ध सी खड़ी रही, जब उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो मैंने अपना लंड भी उनकी गांड से सटा दिया और अपने दोनों हाथ उनके पेट से ऊपर ले जा कर उनके दोनों मम्मे पकड़ लिए।
जिन मम्मों को मैं देख देख कर तरस रहा था, अब वो मेरे हाथों में थे, मैंने अपनी मुट्ठियाँ भींच ली और मौसी के दोनों मम्मों को जैसे निचोड़ डालने की हद तक दबा दिया।
मौसी के मुंह से पहली बार सिसकी निकली- इस्स…
उन्होंने अपने हाथ नीचे लटका दिये और अपना सर मेरे कंधे पे टिका दिया। यह उनका आंशिक समर्पण था।
मैंने अपनी कमर आगे की और अपना तना हुआ लंड उनकी गांड की दरार के साथ लगा दिया, उन्होंने भी जैसे अपने चूतड़ फैला कर मेरे लंड को उस दरार में समा जाने की जगह दी।
मैंने मौसी के दोनों मम्मों के दोनों निप्पल अपने हाथों में पकड़े और उनको अपनी उँगलियों से मसला।
जैसे ही उनके निप्पल मसले, मौसी के मुंह से कई बार सिसकारियाँ फूटी।
मैं जान गया कि मौसी इस वक़्त पूरी गर्म हैं, अगर मैंने अभी हथौड़ा मार दिया तो ठीक, वरना ये गई हाथ से… मैंने बिना कोई देरी किए अपनी निकर नीचे की और अपना तना हुआ लंड बाहर
निकाल लिया और फिर एक हाथ से मौसी की लेगिंग भी नीचे खिसका दी, शर्ट का पल्ला ऊपर उठाया तो उनके गोरे और गोल चूतड़ पहली बार देखे, मगर अभी देखने का नहीं, करने का वक्त था, मैं चाहता था जितनी जल्दी मौसी को काबू कर लूँ उतना अच्छा।
और कुछ नहीं तो मैंने अपने लंड पर काफी सारा थूक लगाया और मौसी की गांड पर टिका कर घस्से मारने लगा। मेरी इच्छा थी कि मेरा लंड मौसी की गांड में ही घुस जाए। मैं लंड आगे को ठेलता तो मौसी भी आगे को सरक जाती।
मगर कब तक, आगे स्लैब आ गई, मौसी का पेट उस से लग गया, मैं और काफी सारा थूक अपने लंड पे टपकाया, और फिर उसी थूक से मौसी की गांड गीली करके मैंने जैसे फिर से ज़ोर लगाया, तो जब तक मौसी चिल्ला कर मुझे रोकती- अबे कुनाल क्या कर रहा है, रुक, रुक, एक मिनट रुक!
उतनी देर में मैंने अपनी पूरी ताकत से अपनी कमर आगे बढ़ाई और मेरे लंड का टोपा मौसी की गांड में घुस गया और मौसी का ‘रुक रुक’ उनकी “आह… र्हर्हर… ऊई माँ… मर गई.” में बदल
गया।
मेरे लंड का टोपा उनकी गांड में था, वो खीज कर मुझसे बोली- अबे कमीने ये क्या कर दिया तूने? मैंने आज तक ये काम नहीं किया था, तूने कहाँ डालना था और कहाँ डाल दिया। फाड़ के रख दी मेरी। पीछे हट, निकाल इसे!
और मौसी ने जब मुझे ज़ोर से पीछे को धकेला, तो मेरा लंड मौसी की गांड से बाहर निकल आया। फनफनाता हुआ मेरा लंड 45 डिग्री के कोण पर ऊपर को मुंह उठाए खड़ा था। मौसी ने अपनी गांड पर हाथ लगा कर देखा, जैसे देख ��ही हो कहीं खून तो नहीं निकल आया।
मैं पीछे खड़ा था, मौसी गुस्से में थी, वो फिर मुझ पर गरजी- पागल पता भी है तूने क्या किया है? जब क्या करना है, कहाँ करना है, तो पंगा क्यों लिया?
मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैंने कहा- मौसी, अगर आप गांड मरवा के देखो न तो आपको चूत मरवाने से ज़्यादा मज़ा आएगा।
मौसी ने मुझे देख कर पूछा- तुझे कैसे पता?
मैंने झूठ ही कह दिया- मेरी गर्लफ्रेंड कहती है।
वो हैरान सा हो कर बोली- तेरी गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने कहा- हाँ है।
मौसी ने पूछा- क्या नाम है उसका? मैंने फिर झूठ बोला- शिवानी।
मौसी ने अपना लोअर ऊपर किया और हाथ धो कर फिर से आटा गूँथने लगी। मैंने फिर से मौसी को पीछे से पकड़ा तो वो बोली- अभी नहीं, अभी मुझे तेरी इस पागलपन वाली हरकत से दर्द हो रहा है।
मैंने बिना समय गँवाए पूछ लिया- तो फिर रात को?
वो मुस्कुरा दी और सर हिला कर बोली- हाँ, रात को!
मैं झूम उठा।
फिर मौसी बोली- अब जाओ, और बैठ कर टी वी देखो।
मैंने अपने कपड़े ठीक किए और बाहर आकर टी वी देखने लगा, मगर टी वी में किसका दिल था।
बच्चे आ गए, सबने खाना खाया, और फिर टी वी देखने लगे मगर मेरे मन में रह रह कर बेचैनी हो रही थी, मैं इंतज़ार कर रहा था कि कब ये बच्चे सो जाएँ, और कब मैं इनकी माँ चोदूँ।
खैर बड़ी मुश्किल से 10 बजे तो मौसी ने अपने बच्चों को सोने के लिए भेज दिया। वो सोने चले गए तो मौसी ने पहले जा कर अपने कमरे को सेट किया, बिस्तर पर नई चादर बिछाई, लाइट बंद करके खुशबू वाली मोमबत्ती लगा दी।
फिर मेरी मौसी ने कपड़े बदल कर काले रंग की नई नाईटी पहनी, दोबारा से सारा मेकअप किया, बाल बनाए, सेंट लगाया, जिसकी खुशबू से सारा घर महक गया।
मैंने कहा- मौसी मैं चाहता हूँ कि पहले मैं आपके बदन मालिश करूँ, फिर आपसे प्यार करूँ।
मौसी बोली- ठीक है, मैं तेल गर्म करके लाती हूँ।
वो किचन में गई और मैं जा कर बेड पे बैठ गया। मैंने अपनी निकर के साथ टी शर्ट पहनी पर चड्डी नहीं पहनी।
थोड़ी ही देर में मौसी किचन से तेल की कटोरी लिए आ गई। मैंने तेल की कटोरी साइड पे रखवा दी और मौसी का हाथ पकड़ कर उन्हें अपने सामने खड़ा किया। मैंने उनकी आँखों में देखा, उनके चेहरे पर खुशी की मुस्कान थी। मैंने मौसी अपने गले से लगाया, तो मौसी ने भी मुझे अपनी आगोश में ले लिया।
“ओह मौसी, आपको नहीं पता कि आपने मुझे ज़िंदगी का कौन सा सुख दिया है। आपका प्यार पा कर मैं तो जैसे किसी और ही दुनिया में चला गया हूँ.” कहते हुये मैंने मौसी की पीठ के मांसल उभार को अपने हाथों में पकड़ कर ऐसे दबाया जैसे मम्मे दबाते हैं।
उनकी पीठ का मांस भी उनके मम्मों की तरह भरपूर और नर्म था।
मौसी बोली- मैं भी अपने इस नए रिश्ते से बहुत खुश हूँ। मैंने भी नहीं सोचा था, जिस प्यार को मैं तरस���ी हूँ, वो मुझे अपने ही घर में मिल जाएगा।
मैं मौसी को बेड पे ले गया, उनको बेड पे बिठाया, पर वो लेट गई, मैंने उनके माथे से उनकी जुल्फ ठीक की और आगे बढ़ कर उनके होंठों पे एक किस किया। मेरे किस के जवाब में उन्होंने भी मेरे होंठों पे किस किया, उन की लिपस्टिक का टेस्ट मुझे अच्छा लगा। मैंने फिर उनके माथे, आँखों, नाक, गाल होंठ, ठोड़ी सब जगह किस किया और किस करते करते नीचे को गया, गले के बाद सीने पे, दोनों मम्मो पे, पेट पे, कमर पे, पेडू पे, चूत पे, जांघों पे, घुटनो पे और फिर पाँव तक जा पहुंचा।
मौसी के पाँव अपने हाथ में पकड़ कर उनके अंगूठे को जब मैंने अपने मुंह में लेकर चूसा तो मौसी ने आँखें बंद करके लंबी साँस छोड़ी। मैंने उनके पाँव को सहलाया और फिर उनकी टांग पर हाथ फिराते हुये उनकी नाईटी को ऊपर उठाने लगा। घुटने से लेकर मैंने उनकी नाईटी उनकी जांघों तक उठा थी। फिर दोनों हाथों से मौसी की मोटी, मांसल जांघें सहलाते हुये मैंने उनकी नाईटी कमर से ऊपर तक उठा दी।
मेरी आँखों के सामने मेरी सगी मौसी की चिकनी चूत, शायद अभी शेव की होगी, एक भी बाल नहीं था चूत पर… सामने से थोड़ी सी काली, थोड़ा सा भगना��ा का मांस बाहर को निकला हुआ।
मैंने उस साँवले से मांस को चूमा तो मौसी की चूत की गंध मेरी साँसों में आई।
कितनी मादक गंध होती है चूत की।
शायद औरतों को लंड की गंध भी ऐसे ही मादक लगती होगी।
मैंने उनकी नाईटी और ऊपर उठाई और गले तक ले आया और पूरी ही उतार कर एक तरफ रख दी। हल्की रोशनी में मैंने पहली बार मौसी को पूरी तरह से नंगी देखा। सिर्फ नंगी नहीं, नंगी और कामुक, एक चुदासी औरत!
कहानी जारी रहेगी.[email protected]
कहानी का तीसरा और अंतिम भाग: मेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-3