नवाब ने की चूत चुदाई
प्रेषक : राजेश
मैं अपनी सच्ची कहानी आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ। मेरा नाम राजेश है। लोग मुझे प्यार से नवाब भी कहते हैं।
मेरा रंग गोरा, शरीर इकहरा और औजार 8 इन्च का है। अब मैं आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
बात सन 2004 की है जब मैं क्लास 12 में था। तब मैं नया-नया लखनऊ से बाराबंकी आया था और मुझे चुदाई सम्बन्धी कोई जानकारी नहीं थी।
एक दिन मुझे मेरे पड़ोसी के लड़के ने एक लड़की के बारे में बताया, पर मुझे कोई विशेष कौतूहल नहीं हुआ। क्योंकि मैं इस विषय में ज्यादा कुछ नहीं जानता था।
मैंने बात को टाल दिया। लेकिन कुछ दिन बाद जब वो लड़की मेरे सामने आई तो मेरे तो होश उड़ गए।
“क्या गुलाबी होंठ थे !”
उसका गोरा बदन जैसे कोई पत्थर की सुडौल मूरत। 28-30-28 की फिगर देख कर लण्ड खड़ा हो गया।
अब तो उसी दिन से उसको देखने के बहाने ढूँढने लगा। अब मैं उसके घर के बगल ही मैच खेलता था और वो भी मुझे देखने के बहाने ढूँढती थी।
मुझे लगने लगा कि वो मुझे पसन्द करती है, पर हम दोनों एक-दूसरे से कहने से डरते थे।
एक दिन उसके घर में फिल्म प्रोजेक्टर लगा था और मैंने भी घर पर जिद करके कहा कि मुझे भी पिक्चर देखन�� है। तो मेरे पापा ने मुझे भेज दिया।
दरअसल उस दिन वो मुझे खुले आम छत से बुला रही थी, इस कारण मैंने मेरे पापा से जाने की जिद की थी।
जब मैं उसके घर गया तो फिल्म चालू हो चुकी थी। सब लोग मूवी देख रहे थे, पर मेरा दिमाग कुछ सोच रहा था कि कैसे उसे अपने पास बुलाऊँ।
तभी वो खुद आकर मेरे बगल में चारपाई पर बैठ गई और उसने अपने हाथ मेरी तरफ़ कर दिए। मुझे समझ में आ गया कि अब बात बन जाएगी।
मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया और मसलने लगा और लगभग एक घन्टे तक सिर्फ़ यही हुआ, और इसके सिवा कुछ हाथ नहीं आया।
कुछ ही दिन बाद मुझे फिर मौका मिल गया। एक दिन वो मेरे पड़ोस में आई और मेरा मन नहीं माना और मैं पड़ोसी के घर में घुस गया, पड़ोसी की लड़की उसकी सहेली थी और उसे सब कुछ पता था। उसने हमको मिलने मौका दिया। लेकिन वो नहीं मानी मेरा मतलब चुदाई के लिए।
मैंने उससे कहा- अगर तुम मुझसे इस तरह दूर रहोगी तो कैसे चलेगा?
उसने कहा- ठीक है, मैं तुमसे मोहर्रम के दिन मिलूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर आई वो रात सुहानी,
जान ही ले ली उसने मेरी जानी।
हम मिले मोहर्रम की रात,
और अब बताता हूँ आगे की बात।
हम दोनों छुपते-छुपाते मेले से दूर एकान्त जगह पर मिले, और उस दिन मैंने पहली बार उसे अपने सीने से लगाया।
पूरे शरीर में जैसे बिच्छू का जहर चढ़ रहा हो। मेरे हाथ-पाँव जैसे काँप रहे हों।
पहले मुझे लगा कि डर के मारे ऐसा हो रहा है, लेकिन फिर धीमे-धीमे सब शान्त होता गया।
और मेरा लण्ड उतना ही अशान्त होता गया।
मैंने उसे अपनी बाहों में इस कदर दबाया कि वो कसमसाने लगी। उसके गोल-गोल संतरे जो मेरे हाथ के साइज़ के थे, मैंने उनको मसलना शुरु किया और धीमे-धीमे और फिर तेज़-तेज़ मसका।
वो चूचियाँ मसकने से उत्तेज़ित होने लगी तभी मैंने मौका पाकर उसकी चूत पर हाथ रख दिया।
उसके मुँह से अजीब सी आवाजें आने लगी, “सी सा सूउ ऊई।”
मैंने खेत में ही उसे लिटा दिया और उसके कपड़े उतारने लगा। उसने भी मेरा साथ देते हुए मेरी टी-शर्ट उतार दी और एक-दूसरे को प्यार से सहलाने लगे।
उसकी चूची से हाथ हटा कर मैंने उसकी चूत पर फेरा और धीमे से सर नीचे ले जाकर चूची चूसना चालू किया।
मैंने धीरे से चूत पर मुँह ले जाकर चाटना चालू किया। वो मजे से चूत चटवा रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने उसे कहा- मेरी बन्नो, अकेले चूत चटवाने से काम नहीं चलेगा। मेरा लण्ड भी चाटना पड़ेगा।
��सने कहा- क्यों नहीं।
उसने उठ कर मेरा लण्ड मुँह में ले लिया। मुझे भी आनन्द आने लगा और हम 69 की तरह हो गए और खूब मजे लिए।
उस से अब रहा नहीं गया और उसने कहा- अब रहा नहीं जाता है, मेरी प्यास बुझा दो।
मैंने भी देर न करते हुए तुरन्त अपना 8 इन्च का लण्ड ��सकी चूत पर रख दिया।
फिर जैसा हमने ब्लू फिल्मों में देखा था और दोस्तों से जानकारी हुई थी, वैसे ही करना शुरु किया।
हमने एकदम सही तरीके से चोदना चालू किया। फिर क्या था, बहुत देर तक यही सिलसिला चला। लेकिन मेरा माल नहीं निकल रहा था। शायद पहली बार था, इसलिए!!
मैंने अपना लण्ड निकाल लिया और कहा- तुम कुतिया की तरह बन जाओ।
और फिर मैं अपना लण्ड उसके पीछे से डालने लगा लेकिन कुछ परेशानी उसे और मुझे भी हो रही थी।
शायद मेरा लण्ड उसकी गांड में जा रहा था। उसने अपना हाथ लगा कर मेरा लण्ड अपनी चूत में डाल दिया और हम ने इन्सान के साथ कुत्ता होने का भी सुख भोगा।
कसम से इस दूसरे तरीके में मजा आ रहा था, और मैं अपने चरम पर था।
तभी वो मुझसे कहने लगी, “और तेज़ और तेज़।”
और मैं तेज़ करते-करते एकदम से निढाल होने लगा और वो भी तरह-तरह की आवाजें निकालते हुए अकड़ गई।
मुझे लगा शायद कुछ गड़बड़ हो गई लेकिन हम दोनों एक साथ झड़ रहे थे।
उसने कहा- अपना निकाल लो।
मैंने कहा- नहीं निकालूँगा तो क्या होगा?
उसने कहा- बच्चा।
मैंने तुरन्त निकाल लिया फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर वहीं लेट गए। तब से चुदाई लगभग रोज़ का काम हो गया।
इसके बाद मैंने कई लड़कियों के साथ चुदाई की और शादीशुदा को भी चोदा और सभी के बारे में मैंने आपको अन्य कहानियों में बताऊँगा।
मुझे जरूर लिखें कि कहानी कैसी लगी?
[email protected]
प्रकाशित : 14 फ़रवरी 2014
प्रेषक : राजेश
मैं अपनी सच्ची कहानी आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ। मेरा नाम राजेश है। लोग मुझे प्यार से नवाब भी कहते हैं।
मेरा रंग गोरा, शरीर इकहरा और औजार 8 इन्च का है। अब मैं आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
बात सन 2004 की है जब मैं क्लास 12 में था। तब मैं नया-नया लखनऊ से बाराबंकी आया था और मुझे चुदाई सम्बन्धी कोई जानकारी नहीं थी।
एक दिन मुझे मेरे पड़ोसी के लड़के ने एक लड़की के बारे में बताया, पर मुझे कोई विशेष कौतूहल नहीं हुआ। क्योंकि मैं इस विषय में ज्यादा कुछ नहीं जानता था।
मैंने बात को टाल दिया। लेकिन कुछ दिन बाद जब वो लड़की मेरे सामने आई तो मेरे तो होश उड़ गए।
“क्या गुलाबी होंठ थे !”
उसका गोरा बदन जैसे कोई पत्थर की सुडौल मूरत। 28-30-28 की फिगर देख कर लण्ड खड़ा हो गया।
अब तो उसी दिन से उसको देखने के बहाने ढूँढने लगा। अब मैं उसके घर के बगल ही मैच खेलता था और वो भी मुझे देखने के बहाने ढूँढती थी।
मुझे लगने लगा कि वो मुझे पसन्द करती है, पर हम दोनों एक-दूसरे से कहने से डरते थे।
एक दिन उसके घर में फिल्म प्रोजेक्टर लगा था और मैंने भी घर पर जिद करके कहा कि मुझे भी पिक्चर देखन�� है। तो मेरे पापा ने मुझे भेज दिया।
दरअसल उस दिन वो मुझे खुले आम छत से बुला रही थी, इस कारण मैंने मेरे पापा से जाने की जिद की थी।
जब मैं उसके घर गया तो फिल्म चालू हो चुकी थी। सब लोग मूवी देख रहे थे, पर मेरा दिमाग कुछ सोच रहा था कि कैसे उसे अपने पास बुलाऊँ।
तभी वो खुद आकर मेरे बगल में चारपाई पर बैठ गई और उसने अपने हाथ मेरी तरफ़ कर दिए। मुझे समझ में आ गया कि अब बात बन जाएगी।
मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया और मसलने लगा और लगभग एक घन्टे तक सिर्फ़ यही हुआ, और इसके सिवा कुछ हाथ नहीं आया।
कुछ ही दिन बाद मुझे फिर मौका मिल गया। एक दिन वो मेरे पड़ोस में आई और मेरा मन नहीं माना और मैं पड़ोसी के घर में घुस गया, पड़ोसी की लड़की उसकी सहेली थी और उसे सब कुछ पता था। उसने हमको मिलने मौका दिया। लेकिन वो नहीं मानी मेरा मतलब चुदाई के लिए।
मैंने उससे कहा- अगर तुम मुझसे इस तरह दूर रहोगी तो कैसे चलेगा?
उसने कहा- ठीक है, मैं तुमसे मोहर्रम के दिन मिलूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर आई वो रात सुहानी,
जान ही ले ली उसने मेरी जानी।
हम मिले मोहर्रम की रात,
और अब बताता हूँ आगे की बात।
हम दोनों छुपते-छुपाते मेले से दूर एकान्त जगह पर मिले, और उस दिन मैंने पहली बार उसे अपने सीने से लगाया।
पूरे शरीर में जैसे बिच्छू का जहर चढ़ रहा हो। मेरे हाथ-पाँव जैसे काँप रहे हों।
पहले मुझे लगा कि डर के मारे ऐसा हो रहा है, लेकिन फिर धीमे-धीमे सब शान्त होता गया।
और मेरा लण्ड उतना ही अशान्त होता गया।
मैंने उसे अपनी बाहों में इस कदर दबाया कि वो कसमसाने लगी। उसके गोल-गोल संतरे जो मेरे हाथ के साइज़ के थे, मैंने उनको मसलना शुरु किया और धीमे-धीमे और फिर तेज़-तेज़ मसका।
वो चूचियाँ मसकने से उत्तेज़ित होने लगी तभी मैंने मौका पाकर उसकी चूत पर हाथ रख दिया।
उसके मुँह से अजीब सी आवाजें आने लगी, “सी सा सूउ ऊई।”
मैंने खेत में ही उसे लिटा दिया और उसके कपड़े उतारने लगा। उसने भी मेरा साथ देते हुए मेरी टी-शर्ट उतार दी और एक-दूसरे को प्यार से सहलाने लगे।
उसकी चूची से हाथ हटा कर मैंने उसकी चूत पर फेरा और धीमे से सर नीचे ले जाकर चूची चूसना चालू किया।
मैंने धीरे से चूत पर मुँह ले जाकर चाटना चालू किया। वो मजे से चूत चटवा रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने उसे कहा- मेरी बन्नो, अकेले चूत चटवाने से काम नहीं चलेगा। मेरा लण्ड भी चाटना पड़ेगा।
��सने कहा- क्यों नहीं।
उसने उठ कर मेरा लण्ड मुँह में ले लिया। मुझे भी आनन्द आने लगा और हम 69 की तरह हो गए और खूब मजे लिए।
उस से अब रहा नहीं गया और उसने कहा- अब रहा नहीं जाता है, मेरी प्यास बुझा दो।
मैंने भी देर न करते हुए तुरन्त अपना 8 इन्च का लण्ड ��सकी चूत पर रख दिया।
फिर जैसा हमने ब्लू फिल्मों में देखा था और दोस्तों से जानकारी हुई थी, वैसे ही करना शुरु किया।
हमने एकदम सही तरीके से चोदना चालू किया। फिर क्या था, बहुत देर तक यही सिलसिला चला। लेकिन मेरा माल नहीं निकल रहा था। शायद पहली बार था, इसलिए!!
मैंने अपना लण्ड निकाल लिया और कहा- तुम कुतिया की तरह बन जाओ।
और फिर मैं अपना लण्ड उसके पीछे से डालने लगा लेकिन कुछ परेशानी उसे और मुझे भी हो रही थी।
शायद मेरा लण्ड उसकी गांड में जा रहा था। उसने अपना हाथ लगा कर मेरा लण्ड अपनी चूत में डाल दिया और हम ने इन्सान के साथ कुत्ता होने का भी सुख भोगा।
कसम से इस दूसरे तरीके में मजा आ रहा था, और मैं अपने चरम पर था।
तभी वो मुझसे कहने लगी, “और तेज़ और तेज़।”
और मैं तेज़ करते-करते एकदम से निढाल होने लगा और वो भी तरह-तरह की आवाजें निकालते हुए अकड़ गई।
मुझे लगा शायद कुछ गड़बड़ हो गई लेकिन हम दोनों एक साथ झड़ रहे थे।
उसने कहा- अपना निकाल लो।
मैंने कहा- नहीं निकालूँगा तो क्या होगा?
उसने कहा- बच्चा।
मैंने तुरन्त निकाल लिया फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर वहीं लेट गए। तब से चुदाई लगभग रोज़ का काम हो गया।
इसके बाद मैंने कई लड़कियों के साथ चुदाई की और शादीशुदा को भी चोदा और सभी के बारे में मैंने आपको अन्य कहानियों में बताऊँगा।
मुझे जरूर लिखें कि कहानी कैसी लगी?
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प्रकाशित : 14 फ़रवरी 2014