गांड मरवाने की तमन्ना पूरी हुई- 1
गे लव गांडू स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मुझे अपने टॉप गे लड़के से प्यार हो गया था. उसने मेरी गांड मार कर जो दर्द दिया, उससे मैं उसका दीवाना हो गया था.
दोस्तो, अन्तर्वासना पर अब तक आपने मेरी गे सेक्स कहानीमेरा पहला गे सेक्स अनुभव
के दो भाग पर पढ़े होंगे.
उन दोनों भागों के प्रकाशन पर मिली प्रशंसा और सराहना ने मुझे इस बात के लिए प्रेरित किया कि मैं समीर से दूसरी बार कैसे चुदा और चुदवाते समय मेरी और समीर की क्या फीलिंग रही, वो सब मैं अपनी इस गे लव गांडू स्टोरी में आप लोगों से शेयर करूं.
उस दिन समीर ने मुझे चोदने के बाद जब मुझे मेरे घर के पास छोड़ा तो मेरी इच्छा उसके पास से जाने की नहीं हो रही थी.
ऐसा लग रहा था कि कुछ और पल समीर के साथ बीतें.
किंतु समय की मजबूरी थी.
हालांकि उस समय भी मेरी गांड समीर के लंड से मिले असहाय दर्द से भरी हुई थी.
बहुत धीमे कदमों से चलेकर मैं अपने घर तक पहुंचा.
करीब एक सप्ताह तक लगातार मेरी गांड में दर्द बना रहा.
शुरू के तीन दिनों तक बहुत ज्यादा दर्द रहा, फिर धीरे धीरे दर्द एक मीठे अहसास में बदलते हुए कम होता गया.
इस दर्द ने मुझे समीर का और उसके लंड का दीवाना बना दिया था.
करीब पांच महीनों तक मुझे समीर से मिलने का कोई मौका नहीं मिला.
किंतु इन पांच महीनों में समीर के प्रति मेरी दीवानगी एक पागलपन में बदलने लगी थी.
लग रहा था कि बस अब कैसे भी करके समीर से एक बार फिर से मिलन हो.
इस बीच में मेरे और समीर के बीच सम्पर्क बना चलता रहा.
समीर ने ��ुझे कपड़े गिफ्ट किए थे, किंतु जवाब में मैं समीर को कुछ नहीं दे पाया था.
फिर दिसम्बर महीने की पहले हफ्ते में एक दिन ऐसा आ ही गया, जब मैं और समीर एक साथ एक बिस्तर पर थे.
हम दोनों बहुत दिनों के बाद मिले थे और मेरे दिल में समीर से पहली चुदाई का अहसास एक बार फिर से समीर से चुदने के लिए प्रेरित कर रहा था.
दिल कर रहा था कि बस आज एक बार फिर से समीर मुझे अपना बनाकर मुझे चोद ले.
मैं उसके घर में उसके बिस्तर पर बैठा यही सोच रहा था कि तभी समीर अन्दर से कपड़े बदल कर आ चुका था.
इस समय वह एक शॉर्ट निक्कर में था और उसने ऊपर कुछ भी नहीं पहन रखा था.
उसके निक्कर से झांक रही उसकी मजबूत जांघें, चौड़ी छाती और मजबूत भुजाओं के चलते वह मुझे साक्षात कामदेव दिख रहा था.
उसके गठीले बदन को देखकर ही मेरे बदन में सेक्सी करंट दौड़ने लगा था.
कुछ पल में ही समीर भी मेरे साथ बिस्तर पर आ गया.
वह मेरे बाजू में बैठ गया और उसने साईड से मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी ओर खींच लिया.
मैंने भी अपना एक हाथ उसकी छाती पर फिराते हुए अपना सिर उसके सीने पर टिका दिया.
उसी वक्त समीर ने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने निक्कर पर रख दिया, जहां पर उसका लंड गुर्रा रहा था.
मेरे दिल में उसके प्रति उमड़ रही वासना के चलते मैंने खुद ही समीर की निक्कर के अन्दर हाथ डालकर उसके लंड को अपनी मुलायम हथेली में ले लिया.
मुझे लगा कि जैसे समीर का लंड मेरी हथेलियों के स्पर्श का ही इंतजार था.
मैंने जैसे hii समीर के लंड को सहलाया उसका लंड फनफना कर टाइट हो गया.
उसके बाद मैंने धीरे से समीर की निक्कर को नीचे करते हुए उसके लंड को बाहर निकाल लिया.
मैंने समीर की छाती पर अपने सिर को रख हुआ था, जहां से मैंने समीर के लंड को देखा.
क्योंकि पिछली बार उत्तेजना में मैं समीर के लंड को जी भर कर देख नहीं पाया था इसलिए आज लग रहा था कि कुछ पल के लिए समीर के लंड को अपने दिल दिमाग में बसा लूँ.
मैं अपनी हथेलियों से धीरे धीरे समीर के लंड को सहलाने लगा.
समीर का 7 इंच का लंड फुल टाइट हो चुका था.
मैंने देखा कि उसका सात इंच का लंड 90 डिग्री पर खड़ा हुआ था. उसके लंड की मोटाई ने उसके लंड को बहुत ही आकर्षक और उत्तेजक बना रखा था.
लंड पर उसकी रक्त से भरी नसों के चलते उसका खूबसूरत लंड, मुझे उससे चुदने का आमंत्रण देता हुआ प्रतीत हो रहा था.
मेरी भावनाओं का बुखार मुझे पर धीरे धीरे चढ़ता जा रहा था.
मेरे दिल से एक आवाज आयी और म���ंने अपने आपसे कहा कि बस समीर अब तो तुम्हारे लंड के नाम पर मैंने अपना जीवन लिख दिया. यदि तुम्हारा लंड मुझे नहीं मिला, तो ये जिंदगी बेकार है.
ऐसा सोचते हुए मैंने समीर के लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर उसकी छाती पर किस कर लिया.
जवाब में समीर ने मुझे अपने एक हाथ से अपनी ओर एकदम से चिपकाकर सटाया और दूसरे हाथ से मेरे सिर के पिछले हिस्से के बालों को अपनी मुट्ठी में भींच कर पकड़ते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों के पास ले आया और मेरे होंठों को किस करने लगा, ठीक वैसे … जैसे कि कोई नाग बार बार फन पटक पटक कर किसी को डसता है.
मैंने समीर के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर ऊपर नीचे करते हुए बिल्कुल धीमी गति से उसका मुट्ठ मारना आरंभ कर दिया और समीर लगातार मेरे होंठों पर अपने होंठों की चोट मारते हुए किस करने लगा.
कुछ ही देर के बाद मुझे समीर के लंड में अत्याधिक तनाव महसूस होने लगा.
उसी समय समीर ने कुछ और जोर से मेरे बालों भींचते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया और धीरे धीरे मेरे होंठों को पीने लगा.
समीर के इस चुंबन ने मेरी शरीर में सेक्स की आग लगा दी थी, मेरे शरीर ऐसे दहका दिया था जैसे किसी धीमी आंच में धीरे धीरे कुछ पक रहा हो.
मैंने भी समीर का साथ देते हुए उसके लंड को अपने मुँह को खोला और जीभ को उसके मुँह में डालने की कोशिश की किंतु समीर का ध्यान इस पर नहीं था.
फिर इशारा सम���ते ही समीर ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर चिपका दिया और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दिया.
मैंने भी समीर की जीभ को अपनी जीभ में लपेटा और एक दूसरे से जीभों को टकराते हुए किस करने लगा.
समीर को ये अच्छा लग रहा था क्योंकि उसने मेरे बालों को जोर भींच लिया था.
कुछ ऐसे कि मैं चाहकर भी उसके होंठों से अपने होंठों को अलग ना कर सकूं.
इस जोरदार किसिंग से मेरी भी उत्तेजना बढ़ चली थी.
अब जवाब में मेरी जीभ भी समीर के मुँह के अन्दर चल रही थी जहां पर समीर बड़े प्यार से अपनी जीभ से मेरी जीभ को सहलाने लगा था.
वो मेरी जीभ को अपनी जीभ में भरते हुए मेरी जीभ को चूसने की कोशिश करने लगा.
हमारी उत्तेजना चरम पर थी.
मेरे और समीर के होंठ जोर से एक दूसरे से चिपक गए थे.
मेरी और समीर की जीभ एक दूसरे से जमकर लिपट गयी थीं, ऐसा लग रहा था कि मेरी और समीर की जीभ एक दूसरे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थीं.
समीर की जीभ से अपनी जीभ को चुसवाते हुए मेरी कामुकता चरम पर आने लगी थी.
तभी समीर के लंड से कुछ पानी की बूंदें बहती हुई मेरी मुट्ठी पर आ लगीं.
वो सच में पानी था और समीर का वीर्य तो बिल्कुल भी नहीं था.
किंतु समीर के लंड से निकले इस पानी के कारण से समीर कुछ ढीला हो गया और धीरे धीरे किसिंग भी अपनी समाप्ति की ओर आ गयी थी.
समीर ने अपने दोनों हाथों से मुझे अपने सीने पर चिपकाते हुए अपनी मजबूत भुजाओं में कस लिया.
मैंने फिर से एक बार समीर की छाती पर किस करते हुए कहा कि समीर आई लव यू.
जवाब में समीर ने मेरे सिर को चूम लिया और अपनी पकड़ ढीली करते हुए मेरी लोवर के अन्दर अपने एक हाथ को डाल दिया.
समीर के हाथों का पंजा बड़ा ही मजबूत और चौड़ा था. मेरी गांड के दोनों मांसल फलक और मुलायम हिस्से समीर की एक हथेली में ही समाए जा रहे थे.
समीर धीरे धीरे मेरी गांड को सहलाने लगा था.
उसके हाथों के स्पर्श से गांड में जो स्पंदन पैदा हो रहा था, वो बयान करना मुश्किल है.
समीर की कठोर हथेलियों की रगड़ से मेरी गांड की मांसपेशियां तनकर सख्त हो गयी थीं और अपनी कसी हुई गांड पर समीर की हथेलियों की रगड़, मुझे सुखद अनुभव की अनुभूति करा रही थी.
मेरी आखें बंद हो चुकी थीं.
धीरे धीरे मैं समीर के नियंत्रण में जाने लगा था.
समीर के हाथों की हथेलियां जैसे जैसे मेरी गांड को रगड़ते हुए मसल रही थीं, वैसे वैसे मेरे होश गुम होने की स्थिति बनती जा रही थी.
अंततः होश गुम हो ही गए और मदहोशी के आलम में मैंने धीमे स्वर में पुन: कहा- समीर लव यू. मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा, तुमने मेरे तन, मन और मेरी हर चीज पर अपना नियंत्रण कर लिया है. मेरा जीवन अब सिर्फ तुम्हारे लिए है. तुम जैसे मर्द आदमी ने मेरी सील तोड़ी है, ये मुझे हमेशा याद रहेगा. तुम्हारे लंड ने मेरी कुंवारी गांड को हरा भरा कर दिया. इसका अहसास मुझे जीवन के हर पल रहेगा.
मेरे धीमे और कामुक स्वर में निकले इन वाक्यों ने समीर के अन्दर उत्तेजना की लहर दौड़ा दी.
उसने मेरी टी-शर्ट और लोवर उतारते हुए मुझे नंगा कर दिया और स्वयं भी नंगा हो गया.
फिर वो मुझे चित लिटाकर मेरे ऊपर आ गया.
उसने फिर से मेरे ��ोंठों को नाग की तरह धीरे धीरे डसना चालू कर दिया.
उसके चुंबनों से होने वाली आवाज उस रूम में धीरे धीरे गूंजनें लगी थीं और वह मेरे छोटे से लंड पर अपने विशाल लंड को ऊपर नीचे करते हुए मुझे यूँ ही चोदने जैसा करने लगा था.
कुछ देर के बाद उसने मुझे उठाकर बेड पर सटी दीवार पर कुछ नीचे करते हुए मेरे सिर को दीवाल पर टिका दिया और मेरे ऊपर चढ़ते हुए अपने लंड को मेरे होंठों पर ले आया.
हालांकि अभी उसके लंड में अभी वैसा तनाव नहीं था, जैसा कुछ मिनटों पहले था.
मैं समझ गया था.
मैंने समीर के लंड को अपने हाथ में लेते हुए अपने मुलायम और गुलाबी होंठों से उसके लंड की मुंडी पर किस कर लिया और धीरे से समीर के लंड की मुंडी को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
समीर ने थोड़ा प्रेशर बढ़ाने की कोशिश की तो मैंने उसे रोक दिया और स्वयं ही समीर के लंड को दो से चार इंच तक अपने मुँह को उसके लंड पर आगे पीछे करते हुए अन्दर लेने लगा.
दिल की तमन्नाओं ने एक बार फिर से शोर मचाना चालू कर दिया था.
मेरे दिल के हर कोने से आवाज आने लगी थी कि अब तो सब कुछ समीर के लंड के लिए है.
इसी उत्तेजना में आकर मैंने समीर के लंड को एक बार गले तक भर लिया, किंतु समीर का लंड गले में जाकर फंसा तो दर्द होने लगा और अचकचा कर मुँह को पीछे लेना पड़ा.
उसके बाद समीर ने अपने एक हाथ से मेरे सिर के बालों को फिर से अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपने लंड को मेरे मुँह के अन्दर डालते हुए आगे पीछे करते हुए मेरे मुँह को चोदने लगा.
लेकिन समीर अपने लंड को मेरे मुँह में जबरदस्ती नहीं ठूंस रहा था.
वो करीब तीन से चार इंच ही डालकर मेरे मुँह को चोदने में लगा था.
इस तरह से समीर के बड़े लंड से अपने मुँह को चुदवाकर दिल में बहुत ही सूकून महसूस हो रहा था.
दिल कह रहा था कि समीर अब मेरा है.
समीर ने कुछ मिनट तक मेरे मुँह को चोदा.
फिर उसने कहा- बता चुदेगा क्या?
मैंने धीरे से फुसफसाते हुए कहा- मैं तो आपका गुलाम बन गया हूँ. पूछने की क्या जरूरत है, जो चाहे करो मेरे साथ.
जवाब में समीर ने धीरे से कहा- मैं जबरदस्ती नहीं करूंगा. मैं जानता हूँ पिछली बार गे लव में तुझे बहुत दर्द हुआ था और खून भी आ गया था. इसलिए अगर तेरी मर्जी होगी तो ही करूंगा.
मैंने समीर से कहा- अगर मर्जी नहीं होती तो ऐसे आपके साथ नंगा होकर आपसे यॅू लिपटकर अपने प्यार का इजहार नहीं किया होता. मैंने तो बहुत दर्द के साथ के इस पल का इंतजार किया है. मैं किस मुँह से कहूँ आपको. आपका मन है तो प्लीज अपनी प्यास बुझा लीजिए.
मेरी बातों ने समीर के दिल दिमाग को प्रभावित कर दिया था.
उसने मुझे तुरंत ही पट्ट करके लिटा दिया और मेरी गांड को किस करने लगा.
समीर ने बहुत देर तक मेरी गांड को किस किया और अपने दांतों से काटा भी.
मैं फुल्ली कंट्रोल से बाहर हो गया और अब मेरा दिल, दिमाग, शरीर का रोम रोम इस बात का इंतजार करके उत्तेजित हो रहा था कि आज समीर के लंड से मेरी गांड की ठुकाई होगी.
किंतु समीर ने तुरंत ही ऐसा नहीं किया.
वह मेरे ऊपर आ गया और अपने लंड को मेरे चूतड़ों के बीचों बीच फंसाकर अपने लंड को ऊपर नीचे करते हुए ��गड़ने लगा. साथ ही पीछे से वो मेरी गर्दन पर गहरे गहरे चुंबन करने लगा.
मेरी आवाज धीरे धीरे निकलने लगी और ‘प्लीज समीर, प्लीज समीर आहह हहह समीर …’ करते हुए समीर को अपनी गांड चोदने के लिए मौन समर्थन देने लगा.
समीर ने एक हाथ से अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर सैट कर दिया.
उसके बाद उसने मेरे दोनों कंधों के नीचे से हाथ डालते हुए मेरे छेद पर अपने लंड की चोट मारना शुरू कर दिया.
समीर ने मुझसे कहा- मैं भी तुम्हें कभी नहीं भूल पाऊंगा, इतनी छोटी सी गांड में इतना बड़ा लंड तुम जैसा कोई प्यार करने वाला ही ले सकता है.
मेरी गांड की भट्टी दहक चुकी थी और गांड अब समीर के लंड को लेने के लिए तड़पने लगी थी.
समीर की बात सुनकर मैंने कहा- आपका प्यार ही मुझे दर्द सहने की ताकत देता है.
उसने मुझे चूम लिया.
मैंने आगे कहा- सच कहूँ तो मैं खुशनसीब हूँ कि मैं आपके लंड से चुदा … और दिल की तमन्ना है कि हमेशा आपसे ही चुदता रहूँ.
अब समीर की उत्तेजना में भी इजाफा हुआ और वह मन लगाकर मेरी गांड के छेद पर अपने लंड की चोट मारते हुए मेरी गांड में अपने लंड को डालने का प्रयास करने लगा.
दोस्तो मैं गांडू कहानी के अगले भाग में गे लव चुदाई को आगे लिखूंगा.
आप कमेंट्स व मेल से बताएं कि आपको गे लव गांडू स्टोरी कैसी लग रही है.[email protected]
गे लव गांडू स्टोरी का अगला भाग: गांड मरवाने की तमन्ना पूरी हुई- 2
गे लव गांडू स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मुझे अपने टॉप गे लड़के से प्यार हो गया था. उसने मेरी गांड मार कर जो दर्द दिया, उससे मैं उसका दीवाना हो गया था.
दोस्तो, अन्तर्वासना पर अब तक आपने मेरी गे सेक्स कहानीमेरा पहला गे सेक्स अनुभव
के दो भाग पर पढ़े होंगे.
उन दोनों भागों के प्रकाशन पर मिली प्रशंसा और सराहना ने मुझे इस बात के लिए प्रेरित किया कि मैं समीर से दूसरी बार कैसे चुदा और चुदवाते समय मेरी और समीर की क्या फीलिंग रही, वो सब मैं अपनी इस गे लव गांडू स्टोरी में आप लोगों से शेयर करूं.
उस दिन समीर ने मुझे चोदने के बाद जब मुझे मेरे घर के पास छोड़ा तो मेरी इच्छा उसके पास से जाने की नहीं हो रही थी.
ऐसा लग रहा था कि कुछ और पल समीर के साथ बीतें.
किंतु समय की मजबूरी थी.
हालांकि उस समय भी मेरी गांड समीर के लंड से मिले असहाय दर्द से भरी हुई थी.
बहुत धीमे कदमों से चलेकर मैं अपने घर तक पहुंचा.
करीब एक सप्ताह तक लगातार मेरी गांड में दर्द बना रहा.
शुरू के तीन दिनों तक बहुत ज्यादा दर्द रहा, फिर धीरे धीरे दर्द एक मीठे अहसास में बदलते हुए कम होता गया.
इस दर्द ने मुझे समीर का और उसके लंड का दीवाना बना दिया था.
करीब पांच महीनों तक मुझे समीर से मिलने का कोई मौका नहीं मिला.
किंतु इन पांच महीनों में समीर के प्रति मेरी दीवानगी एक पागलपन में बदलने लगी थी.
लग रहा था कि बस अब कैसे भी करके समीर से एक बार फिर से मिलन हो.
इस बीच में मेरे और समीर के बीच सम्पर्क बना चलता रहा.
समीर ने ��ुझे कपड़े गिफ्ट किए थे, किंतु जवाब में मैं समीर को कुछ नहीं दे पाया था.
फिर दिसम्बर महीने की पहले हफ्ते में एक दिन ऐसा आ ही गया, जब मैं और समीर एक साथ एक बिस्तर पर थे.
हम दोनों बहुत दिनों के बाद मिले थे और मेरे दिल में समीर से पहली चुदाई का अहसास एक बार फिर से समीर से चुदने के लिए प्रेरित कर रहा था.
दिल कर रहा था कि बस आज एक बार फिर से समीर मुझे अपना बनाकर मुझे चोद ले.
मैं उसके घर में उसके बिस्तर पर बैठा यही सोच रहा था कि तभी समीर अन्दर से कपड़े बदल कर आ चुका था.
इस समय वह एक शॉर्ट निक्कर में था और उसने ऊपर कुछ भी नहीं पहन रखा था.
उसके निक्कर से झांक रही उसकी मजबूत जांघें, चौड़ी छाती और मजबूत भुजाओं के चलते वह मुझे साक्षात कामदेव दिख रहा था.
उसके गठीले बदन को देखकर ही मेरे बदन में सेक्सी करंट दौड़ने लगा था.
कुछ पल में ही समीर भी मेरे साथ बिस्तर पर आ गया.
वह मेरे बाजू में बैठ गया और उसने साईड से मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी ओर खींच लिया.
मैंने भी अपना एक हाथ उसकी छाती पर फिराते हुए अपना सिर उसके सीने पर टिका दिया.
उसी वक्त समीर ने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने निक्कर पर रख दिया, जहां पर उसका लंड गुर्रा रहा था.
मेरे दिल में उसके प्रति उमड़ रही वासना के चलते मैंने खुद ही समीर की निक्कर के अन्दर हाथ डालकर उसके लंड को अपनी मुलायम हथेली में ले लिया.
मुझे लगा कि जैसे समीर का लंड मेरी हथेलियों के स्पर्श का ही इंतजार था.
मैंने जैसे hii समीर के लंड को सहलाया उसका लंड फनफना कर टाइट हो गया.
उसके बाद मैंने धीरे से समीर की निक्कर को नीचे करते हुए उसके लंड को बाहर निकाल लिया.
मैंने समीर की छाती पर अपने सिर को रख हुआ था, जहां से मैंने समीर के लंड को देखा.
क्योंकि पिछली बार उत्तेजना में मैं समीर के लंड को जी भर कर देख नहीं पाया था इसलिए आज लग रहा था कि कुछ पल के लिए समीर के लंड को अपने दिल दिमाग में बसा लूँ.
मैं अपनी हथेलियों से धीरे धीरे समीर के लंड को सहलाने लगा.
समीर का 7 इंच का लंड फुल टाइट हो चुका था.
मैंने देखा कि उसका सात इंच का लंड 90 डिग्री पर खड़ा हुआ था. उसके लंड की मोटाई ने उसके लंड को बहुत ही आकर्षक और उत्तेजक बना रखा था.
लंड पर उसकी रक्त से भरी नसों के चलते उसका खूबसूरत लंड, मुझे उससे चुदने का आमंत्रण देता हुआ प्रतीत हो रहा था.
मेरी भावनाओं का बुखार मुझे पर धीरे धीरे चढ़ता जा रहा था.
मेरे दिल से एक आवाज आयी और म���ंने अपने आपसे कहा कि बस समीर अब तो तुम्हारे लंड के नाम पर मैंने अपना जीवन लिख दिया. यदि तुम्हारा लंड मुझे नहीं मिला, तो ये जिंदगी बेकार है.
ऐसा सोचते हुए मैंने समीर के लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर उसकी छाती पर किस कर लिया.
जवाब में समीर ने मुझे अपने एक हाथ से अपनी ओर एकदम से चिपकाकर सटाया और दूसरे हाथ से मेरे सिर के पिछले हिस्से के बालों को अपनी मुट्ठी में भींच कर पकड़ते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों के पास ले आया और मेरे होंठों को किस करने लगा, ठीक वैसे … जैसे कि कोई नाग बार बार फन पटक पटक कर किसी को डसता है.
मैंने समीर के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर ऊपर नीचे करते हुए बिल्कुल धीमी गति से उसका मुट्ठ मारना आरंभ कर दिया और समीर लगातार मेरे होंठों पर अपने होंठों की चोट मारते हुए किस करने लगा.
कुछ ही देर के बाद मुझे समीर के लंड में अत्याधिक तनाव महसूस होने लगा.
उसी समय समीर ने कुछ और जोर से मेरे बालों भींचते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया और धीरे धीरे मेरे होंठों को पीने लगा.
समीर के इस चुंबन ने मेरी शरीर में सेक्स की आग लगा दी थी, मेरे शरीर ऐसे दहका दिया था जैसे किसी धीमी आंच में धीरे धीरे कुछ पक रहा हो.
मैंने भी समीर का साथ देते हुए उसके लंड को अपने मुँह को खोला और जीभ को उसके मुँह में डालने की कोशिश की किंतु समीर का ध्यान इस पर नहीं था.
फिर इशारा सम���ते ही समीर ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर चिपका दिया और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दिया.
मैंने भी समीर की जीभ को अपनी जीभ में लपेटा और एक दूसरे से जीभों को टकराते हुए किस करने लगा.
समीर को ये अच्छा लग रहा था क्योंकि उसने मेरे बालों को जोर भींच लिया था.
कुछ ऐसे कि मैं चाहकर भी उसके होंठों से अपने होंठों को अलग ना कर सकूं.
इस जोरदार किसिंग से मेरी भी उत्तेजना बढ़ चली थी.
अब जवाब में मेरी जीभ भी समीर के मुँह के अन्दर चल रही थी जहां पर समीर बड़े प्यार से अपनी जीभ से मेरी जीभ को सहलाने लगा था.
वो मेरी जीभ को अपनी जीभ में भरते हुए मेरी जीभ को चूसने की कोशिश करने लगा.
हमारी उत्तेजना चरम पर थी.
मेरे और समीर के होंठ जोर से एक दूसरे से चिपक गए थे.
मेरी और समीर की जीभ एक दूसरे से जमकर लिपट गयी थीं, ऐसा लग रहा था कि मेरी और समीर की जीभ एक दूसरे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थीं.
समीर की जीभ से अपनी जीभ को चुसवाते हुए मेरी कामुकता चरम पर आने लगी थी.
तभी समीर के लंड से कुछ पानी की बूंदें बहती हुई मेरी मुट्ठी पर आ लगीं.
वो सच में पानी था और समीर का वीर्य तो बिल्कुल भी नहीं था.
किंतु समीर के लंड से निकले इस पानी के कारण से समीर कुछ ढीला हो गया और धीरे धीरे किसिंग भी अपनी समाप्ति की ओर आ गयी थी.
समीर ने अपने दोनों हाथों से मुझे अपने सीने पर चिपकाते हुए अपनी मजबूत भुजाओं में कस लिया.
मैंने फिर से एक बार समीर की छाती पर किस करते हुए कहा कि समीर आई लव यू.
जवाब में समीर ने मेरे सिर को चूम लिया और अपनी पकड़ ढीली करते हुए मेरी लोवर के अन्दर अपने एक हाथ को डाल दिया.
समीर के हाथों का पंजा बड़ा ही मजबूत और चौड़ा था. मेरी गांड के दोनों मांसल फलक और मुलायम हिस्से समीर की एक हथेली में ही समाए जा रहे थे.
समीर धीरे धीरे मेरी गांड को सहलाने लगा था.
उसके हाथों के स्पर्श से गांड में जो स्पंदन पैदा हो रहा था, वो बयान करना मुश्किल है.
समीर की कठोर हथेलियों की रगड़ से मेरी गांड की मांसपेशियां तनकर सख्त हो गयी थीं और अपनी कसी हुई गांड पर समीर की हथेलियों की रगड़, मुझे सुखद अनुभव की अनुभूति करा रही थी.
मेरी आखें बंद हो चुकी थीं.
धीरे धीरे मैं समीर के नियंत्रण में जाने लगा था.
समीर के हाथों की हथेलियां जैसे जैसे मेरी गांड को रगड़ते हुए मसल रही थीं, वैसे वैसे मेरे होश गुम होने की स्थिति बनती जा रही थी.
अंततः होश गुम हो ही गए और मदहोशी के आलम में मैंने धीमे स्वर में पुन: कहा- समीर लव यू. मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा, तुमने मेरे तन, मन और मेरी हर चीज पर अपना नियंत्रण कर लिया है. मेरा जीवन अब सिर्फ तुम्हारे लिए है. तुम जैसे मर्द आदमी ने मेरी सील तोड़ी है, ये मुझे हमेशा याद रहेगा. तुम्हारे लंड ने मेरी कुंवारी गांड को हरा भरा कर दिया. इसका अहसास मुझे जीवन के हर पल रहेगा.
मेरे धीमे और कामुक स्वर में निकले इन वाक्यों ने समीर के अन्दर उत्तेजना की लहर दौड़ा दी.
उसने मेरी टी-शर्ट और लोवर उतारते हुए मुझे नंगा कर दिया और स्वयं भी नंगा हो गया.
फिर वो मुझे चित लिटाकर मेरे ऊपर आ गया.
उसने फिर से मेरे ��ोंठों को नाग की तरह धीरे धीरे डसना चालू कर दिया.
उसके चुंबनों से होने वाली आवाज उस रूम में धीरे धीरे गूंजनें लगी थीं और वह मेरे छोटे से लंड पर अपने विशाल लंड को ऊपर नीचे करते हुए मुझे यूँ ही चोदने जैसा करने लगा था.
कुछ देर के बाद उसने मुझे उठाकर बेड पर सटी दीवार पर कुछ नीचे करते हुए मेरे सिर को दीवाल पर टिका दिया और मेरे ऊपर चढ़ते हुए अपने लंड को मेरे होंठों पर ले आया.
हालांकि अभी उसके लंड में अभी वैसा तनाव नहीं था, जैसा कुछ मिनटों पहले था.
मैं समझ गया था.
मैंने समीर के लंड को अपने हाथ में लेते हुए अपने मुलायम और गुलाबी होंठों से उसके लंड की मुंडी पर किस कर लिया और धीरे से समीर के लंड की मुंडी को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
समीर ने थोड़ा प्रेशर बढ़ाने की कोशिश की तो मैंने उसे रोक दिया और स्वयं ही समीर के लंड को दो से चार इंच तक अपने मुँह को उसके लंड पर आगे पीछे करते हुए अन्दर लेने लगा.
दिल की तमन्नाओं ने एक बार फिर से शोर मचाना चालू कर दिया था.
मेरे दिल के हर कोने से आवाज आने लगी थी कि अब तो सब कुछ समीर के लंड के लिए है.
इसी उत्तेजना में आकर मैंने समीर के लंड को एक बार गले तक भर लिया, किंतु समीर का लंड गले में जाकर फंसा तो दर्द होने लगा और अचकचा कर मुँह को पीछे लेना पड़ा.
उसके बाद समीर ने अपने एक हाथ से मेरे सिर के बालों को फिर से अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपने लंड को मेरे मुँह के अन्दर डालते हुए आगे पीछे करते हुए मेरे मुँह को चोदने लगा.
लेकिन समीर अपने लंड को मेरे मुँह में जबरदस्ती नहीं ठूंस रहा था.
वो करीब तीन से चार इंच ही डालकर मेरे मुँह को चोदने में लगा था.
इस तरह से समीर के बड़े लंड से अपने मुँह को चुदवाकर दिल में बहुत ही सूकून महसूस हो रहा था.
दिल कह रहा था कि समीर अब मेरा है.
समीर ने कुछ मिनट तक मेरे मुँह को चोदा.
फिर उसने कहा- बता चुदेगा क्या?
मैंने धीरे से फुसफसाते हुए कहा- मैं तो आपका गुलाम बन गया हूँ. पूछने की क्या जरूरत है, जो चाहे करो मेरे साथ.
जवाब में समीर ने धीरे से कहा- मैं जबरदस्ती नहीं करूंगा. मैं जानता हूँ पिछली बार गे लव में तुझे बहुत दर्द हुआ था और खून भी आ गया था. इसलिए अगर तेरी मर्जी होगी तो ही करूंगा.
मैंने समीर से कहा- अगर मर्जी नहीं होती तो ऐसे आपके साथ नंगा होकर आपसे यॅू लिपटकर अपने प्यार का इजहार नहीं किया होता. मैंने तो बहुत दर्द के साथ के इस पल का इंतजार किया है. मैं किस मुँह से कहूँ आपको. आपका मन है तो प्लीज अपनी प्यास बुझा लीजिए.
मेरी बातों ने समीर के दिल दिमाग को प्रभावित कर दिया था.
उसने मुझे तुरंत ही पट्ट करके लिटा दिया और मेरी गांड को किस करने लगा.
समीर ने बहुत देर तक मेरी गांड को किस किया और अपने दांतों से काटा भी.
मैं फुल्ली कंट्रोल से बाहर हो गया और अब मेरा दिल, दिमाग, शरीर का रोम रोम इस बात का इंतजार करके उत्तेजित हो रहा था कि आज समीर के लंड से मेरी गांड की ठुकाई होगी.
किंतु समीर ने तुरंत ही ऐसा नहीं किया.
वह मेरे ऊपर आ गया और अपने लंड को मेरे चूतड़ों के बीचों बीच फंसाकर अपने लंड को ऊपर नीचे करते हुए ��गड़ने लगा. साथ ही पीछे से वो मेरी गर्दन पर गहरे गहरे चुंबन करने लगा.
मेरी आवाज धीरे धीरे निकलने लगी और ‘प्लीज समीर, प्लीज समीर आहह हहह समीर …’ करते हुए समीर को अपनी गांड चोदने के लिए मौन समर्थन देने लगा.
समीर ने एक हाथ से अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर सैट कर दिया.
उसके बाद उसने मेरे दोनों कंधों के नीचे से हाथ डालते हुए मेरे छेद पर अपने लंड की चोट मारना शुरू कर दिया.
समीर ने मुझसे कहा- मैं भी तुम्हें कभी नहीं भूल पाऊंगा, इतनी छोटी सी गांड में इतना बड़ा लंड तुम जैसा कोई प्यार करने वाला ही ले सकता है.
मेरी गांड की भट्टी दहक चुकी थी और गांड अब समीर के लंड को लेने के लिए तड़पने लगी थी.
समीर की बात सुनकर मैंने कहा- आपका प्यार ही मुझे दर्द सहने की ताकत देता है.
उसने मुझे चूम लिया.
मैंने आगे कहा- सच कहूँ तो मैं खुशनसीब हूँ कि मैं आपके लंड से चुदा … और दिल की तमन्ना है कि हमेशा आपसे ही चुदता रहूँ.
अब समीर की उत्तेजना में भी इजाफा हुआ और वह मन लगाकर मेरी गांड के छेद पर अपने लंड की चोट मारते हुए मेरी गांड में अपने लंड को डालने का प्रयास करने लगा.
दोस्तो मैं गांडू कहानी के अगले भाग में गे लव चुदाई को आगे लिखूंगा.
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गे लव गांडू स्टोरी का अगला भाग: गांड मरवाने की तमन्ना पूरी हुई- 2