मस्त छमिया शीला-2
प्रेषक : हैरी
हम दोनों एक सीट पर लेट गए। नीचे मैं और ऊपर मेरे नंगी वो औरत थी और ऊपर हमारे शाल था। ताकि कोई हमें नंगा न देख ले।
मैंने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
वो बोली- शीला।
मैंने कहा- एक बात बताऊँ !
तो वो बोली- क्या?
मैंने कहा- तुम सच में बहुत गर्मा-गर्म माल हो।
शीला बोली- सच!
मैंने कहा- हाँ और क्या ! इतने में ही मज़ा आ गया और अभी नीचे कुछ किया ही नहीं है।
शीला बोली- तुम भी कुछ कम नहीं हो। मेरी छातियाँ चूस-चूस कर खाली कर दी हैं, जैसे तुम्हें इनकी भूख है।
“भूख तो मुझे तुम्हारे होंठों की है।”
इतने कहते ही मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में रख लिया और उन्हें चूसने लगा। होंठों को चूसते-चूसते मैं उसके कूल्हों को भी ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और ऊपर की ओर मसल रहा था।
“आह… क्या कर रहे हो?”
“ऐसा करो, तुम मेरे लन्ड को मुँह में डाल लो और मैं तुम्हारी चूत चाटता हूँ।” मैंने कहा।
उसने वैसा ही किया और 69 की अवस्था में मेरे ऊपर लेट गई। वो कभी तो लन्ड को मुँह में डाल कर चूसती तो कभी हाथ से रगड़ती और मैं उसकी चूत के अन्दर तक अपनी जीभ घुसा रहा और उसे और गर्म कर रहा था।
“ऐसा है अब तुम मेरे ऊपर सीधी होकर लेट जाओ !” मैंने कहा।
वो लेट गई तो मैंने फ़िर धीरे-धीरे से लन्ड को उसके अन्दर डाला। चूत इतनी टाईट थी कि लन्ड एक बार में अन्दर जा ही नहीं पाया। पर मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया तो वो जैसे तड़प उठी पर मैंने उसके होंठ अपने होंठों में लिए और उन्हें चूसने लगा और धक्के देने लगा।
मैं लगभग हर रोज़ अपनी प्रेमिकाओं को चोदता था तो मेरा चुदाई करने का समय काफ़ी ज���यादा था। कोई उठ न जाए इस लिए मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में लन्ड को धक्के मारता रहा और उसके होंठों को चूसता और उसकी गान्ड को दबाता रहा।
हम पसीने से तर हो गए थे, पर मैंने उसकी चूत मारे जा रहा था। लड़कियाँ कभी भी अपनी गान्ड कभी नहीं देती हैं, यह मुझे पता था पर फ़िर भी मैंने शीला से कहा- तुम सीट की एक तरफ़ मुँह कर के लेट जाओ, मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूँ।
वो बोली- नहीं, काफ़ी दर्द होता है।
मैंने बोला- कोई बात नहीं, थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा।
काफ़ी कहने पर वो मान गई और घोड़ी की तरह सीट के एक तरफ़ वो और उसके पीछे मैं लेट गया और अपने लन्ड को उसके गान्ड में डालने के लिए अन्दर थोड़ा सा ठूँसा तो शीला दर्द से कराह उठी।
मैंने लन्ड को बाहर निकाल लिया और फ़िर से उसे धीरे-धीरे करके गान्ड के पूरा अन्दर तक डाल दिया। उसका शरीर अन्दर से इतना गर्म था, जैसे मैंने अपने लन्ड को किसी गर्म भट्टी में डाल दिया हो।
मैं लन्ड को उसकी गान्ड में धक्के देता रहा और उसके मोमे भी ज़ोर-ज़ोर से दबाता रहा। जब लन्ड में से माल छूटा तो मैंने उसकी गान्ड में ही छोड़ दिया। मैंने काफी देर तक उसे चोदा था और उसकी प्यास बुझाई थी।
सुबह के पाँच बज गए थे। उसकी गान्ड में दर्द हो रहा था। मैंने अपने कपड़े पहने और वो चलती ट्रेन में साड़ी पहन नहीं सकती थी तो उसने सूट पहन लिया।
वो बोली- तुम भी न ! बड़े प्यार से करते हो। मज़ा दे दिया।
“मज़ा मैंने नहीं, तुम्हारे इस बदन ने दे दिया है मुझे भी और तुझे भी।”
हम दोनों एक साथ एक शाल में एक दूसरे के हाथों में हाथ, पाँव में पाँव डाल कर बैठे थे। सुबह हो चुकी थी, सूरज़ निकल आया था।
मैंने पूछा- तुम्हारा पति क्या काम करता है, कैसा है?
तो शीला ने बताया, “वो एक एकाउंटेंट है और काफ़ी कमजोर है। वो उसके सारे कपड़े उतार देता है फ़िर ऊपर ऐसे ही सो जाता है, पर तुम्हारा आठ इन्च लम्बा, मोटा काफ़ी कड़क लन्ड है।
मैंने उससे पूछा- तुम आखिर जा कहाँ तक रही हो?
वो बोली- जम्मू में, वहाँ पर एक विशाल नगर है। तुम कहाँ जा रहे हो?
“जम्मू में ही एक गगन नगर है, वहाँ पर।”
वो और मैं हैरान रह गए क्योंकि गगन नगर और विशाल नगर पास-पास थे। मतलब मेरे घर से उसका घर कोई दो या तीन किलोमीटर ही दूर था।
“तुम्हारे घर में और कौन-कौन है?” मैंने पूछा।
तो उसने कहा- बस मैं और मेरे पति।
“मतलब मैं तुम्हारे घर कभी भी आ सकता हूँ।” मैंने कहा।
तो वो हँस पड़ी।
“तुम्हारी और भी प्रेमिका ��ै न?” उसने पूछा।
तो मैंने कहा- हाँ है।
“तुम उसके साथ भी खूब करते हो न?” उसने पूछा।
तो मैंने कहा- हाँ कभी-कभी।
“तुम मेरे साथ भी करते रहोगे न!” उसने कहा।
तो मैंने जवाब दिया- हाँ, क्यों नहीं!
बस शीला मेरे लन्ड पर ऐसा ही हाथ फ़ेरने लगी और वो खड़ा हो गया और मैं उसकी ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उन्हें मसल रहा था। उसने शाल के अन्दर अपना मुँह किया और लन्ड चूसने लगी। दोनों हाथों से मैंने उसकी कमीज़ ऊपर की, ब्रा में से उसके चूचियां बाहर निकाली और खूब दबाया और पीया। शीला और मैंने कपड़े पहने। ज़म्मू स्टेशन आया तो हम नीचे उतर गए। उसने मुझे अपना नम्बर दिया और मुझ से मेरा नम्बर ले लिया।
वो अपने पति को फोन कर रही थी कि वो आकर उसे ले जाए पर वो आया नहीं तो मुझे उसके साथ उसके घर तक जाने को मिल गया। उस दिन के बाद से मैं हर रोज़ शीला की जम कर चुदाई कर रहा हूँ और आज भी करता हूँ। वो मेरे साथ सेक्स करके बहुत खुश है और उसकी चूचियां या कहें फुटबाल चालीस इन्च तक मैंने बढ़ा दिए हैं और पिछवाड़ा कोई अड़तीस इन्च तक।
एक बार उसने मुझे एक दिन उसकी शादी की एलबम दिखाई थी और उसमे से एक उसकी चचेरी बहन सोनिया की फोटो थी। मैं उससे कभी मिल तो नहीं पाया पर शीला कह रही थी कि वो एक दिन उसे यहाँ जरूर बुला लेगी तो सकता है कि जब कभी मुझे मौका मिले तो मैं सोनिया की चुदाई भी कर दूँ।
दोस्तो, अगर ऐसा हुआ तो उसकी कहानी मैं आप सब पाठकों को जरूर सुनाऊँगा। एक बात और उस औरत के साथ चुदाई कम से कम एक बार जरूर करना, जिसके मोमे काफ़ी मोटे-मोटे हों। वो आपको आपके अन्दाज़े से भी ज्यादा मज़े देगी। यह मेरा अज़माया हुआ तरीका है।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
[email protected]
प्रेषक : हैरी
हम दोनों एक सीट पर लेट गए। नीचे मैं और ऊपर मेरे नंगी वो औरत थी और ऊपर हमारे शाल था। ताकि कोई हमें नंगा न देख ले।
मैंने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
वो बोली- शीला।
मैंने कहा- एक बात बताऊँ !
तो वो बोली- क्या?
मैंने कहा- तुम सच में बहुत गर्मा-गर्म माल हो।
शीला बोली- सच!
मैंने कहा- हाँ और क्या ! इतने में ही मज़ा आ गया और अभी नीचे कुछ किया ही नहीं है।
शीला बोली- तुम भी कुछ कम नहीं हो। मेरी छातियाँ चूस-चूस कर खाली कर दी हैं, जैसे तुम्हें इनकी भूख है।
“भूख तो मुझे तुम्हारे होंठों की है।”
इतने कहते ही मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में रख लिया और उन्हें चूसने लगा। होंठों को चूसते-चूसते मैं उसके कूल्हों को भी ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और ऊपर की ओर मसल रहा था।
“आह… क्या कर रहे हो?”
“ऐसा करो, तुम मेरे लन्ड को मुँह में डाल लो और मैं तुम्हारी चूत चाटता हूँ।” मैंने कहा।
उसने वैसा ही किया और 69 की अवस्था में मेरे ऊपर लेट गई। वो कभी तो लन्ड को मुँह में डाल कर चूसती तो कभी हाथ से रगड़ती और मैं उसकी चूत के अन्दर तक अपनी जीभ घुसा रहा और उसे और गर्म कर रहा था।
“ऐसा है अब तुम मेरे ऊपर सीधी होकर लेट जाओ !” मैंने कहा।
वो लेट गई तो मैंने फ़िर धीरे-धीरे से लन्ड को उसके अन्दर डाला। चूत इतनी टाईट थी कि लन्ड एक बार में अन्दर जा ही नहीं पाया। पर मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया तो वो जैसे तड़प उठी पर मैंने उसके होंठ अपने होंठों में लिए और उन्हें चूसने लगा और धक्के देने लगा।
मैं लगभग हर रोज़ अपनी प्रेमिकाओं को चोदता था तो मेरा चुदाई करने का समय काफ़ी ज���यादा था। कोई उठ न जाए इस लिए मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में लन्ड को धक्के मारता रहा और उसके होंठों को चूसता और उसकी गान्ड को दबाता रहा।
हम पसीने से तर हो गए थे, पर मैंने उसकी चूत मारे जा रहा था। लड़कियाँ कभी भी अपनी गान्ड कभी नहीं देती हैं, यह मुझे पता था पर फ़िर भी मैंने शीला से कहा- तुम सीट की एक तरफ़ मुँह कर के लेट जाओ, मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूँ।
वो बोली- नहीं, काफ़ी दर्द होता है।
मैंने बोला- कोई बात नहीं, थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा।
काफ़ी कहने पर वो मान गई और घोड़ी की तरह सीट के एक तरफ़ वो और उसके पीछे मैं लेट गया और अपने लन्ड को उसके गान्ड में डालने के लिए अन्दर थोड़ा सा ठूँसा तो शीला दर्द से कराह उठी।
मैंने लन्ड को बाहर निकाल लिया और फ़िर से उसे धीरे-धीरे करके गान्ड के पूरा अन्दर तक डाल दिया। उसका शरीर अन्दर से इतना गर्म था, जैसे मैंने अपने लन्ड को किसी गर्म भट्टी में डाल दिया हो।
मैं लन्ड को उसकी गान्ड में धक्के देता रहा और उसके मोमे भी ज़ोर-ज़ोर से दबाता रहा। जब लन्ड में से माल छूटा तो मैंने उसकी गान्ड में ही छोड़ दिया। मैंने काफी देर तक उसे चोदा था और उसकी प्यास बुझाई थी।
सुबह के पाँच बज गए थे। उसकी गान्ड में दर्द हो रहा था। मैंने अपने कपड़े पहने और वो चलती ट्रेन में साड़ी पहन नहीं सकती थी तो उसने सूट पहन लिया।
वो बोली- तुम भी न ! बड़े प्यार से करते हो। मज़ा दे दिया।
“मज़ा मैंने नहीं, तुम्हारे इस बदन ने दे दिया है मुझे भी और तुझे भी।”
हम दोनों एक साथ एक शाल में एक दूसरे के हाथों में हाथ, पाँव में पाँव डाल कर बैठे थे। सुबह हो चुकी थी, सूरज़ निकल आया था।
मैंने पूछा- तुम्हारा पति क्या काम करता है, कैसा है?
तो शीला ने बताया, “वो एक एकाउंटेंट है और काफ़ी कमजोर है। वो उसके सारे कपड़े उतार देता है फ़िर ऊपर ऐसे ही सो जाता है, पर तुम्हारा आठ इन्च लम्बा, मोटा काफ़ी कड़क लन्ड है।
मैंने उससे पूछा- तुम आखिर जा कहाँ तक रही हो?
वो बोली- जम्मू में, वहाँ पर एक विशाल नगर है। तुम कहाँ जा रहे हो?
“जम्मू में ही एक गगन नगर है, वहाँ पर।”
वो और मैं हैरान रह गए क्योंकि गगन नगर और विशाल नगर पास-पास थे। मतलब मेरे घर से उसका घर कोई दो या तीन किलोमीटर ही दूर था।
“तुम्हारे घर में और कौन-कौन है?” मैंने पूछा।
तो उसने कहा- बस मैं और मेरे पति।
“मतलब मैं तुम्हारे घर कभी भी आ सकता हूँ।” मैंने कहा।
तो वो हँस पड़ी।
“तुम्हारी और भी प्रेमिका ��ै न?” उसने पूछा।
तो मैंने कहा- हाँ है।
“तुम उसके साथ भी खूब करते हो न?” उसने पूछा।
तो मैंने कहा- हाँ कभी-कभी।
“तुम मेरे साथ भी करते रहोगे न!” उसने कहा।
तो मैंने जवाब दिया- हाँ, क्यों नहीं!
बस शीला मेरे लन्ड पर ऐसा ही हाथ फ़ेरने लगी और वो खड़ा हो गया और मैं उसकी ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उन्हें मसल रहा था। उसने शाल के अन्दर अपना मुँह किया और लन्ड चूसने लगी। दोनों हाथों से मैंने उसकी कमीज़ ऊपर की, ब्रा में से उसके चूचियां बाहर निकाली और खूब दबाया और पीया। शीला और मैंने कपड़े पहने। ज़म्मू स्टेशन आया तो हम नीचे उतर गए। उसने मुझे अपना नम्बर दिया और मुझ से मेरा नम्बर ले लिया।
वो अपने पति को फोन कर रही थी कि वो आकर उसे ले जाए पर वो आया नहीं तो मुझे उसके साथ उसके घर तक जाने को मिल गया। उस दिन के बाद से मैं हर रोज़ शीला की जम कर चुदाई कर रहा हूँ और आज भी करता हूँ। वो मेरे साथ सेक्स करके बहुत खुश है और उसकी चूचियां या कहें फुटबाल चालीस इन्च तक मैंने बढ़ा दिए हैं और पिछवाड़ा कोई अड़तीस इन्च तक।
एक बार उसने मुझे एक दिन उसकी शादी की एलबम दिखाई थी और उसमे से एक उसकी चचेरी बहन सोनिया की फोटो थी। मैं उससे कभी मिल तो नहीं पाया पर शीला कह रही थी कि वो एक दिन उसे यहाँ जरूर बुला लेगी तो सकता है कि जब कभी मुझे मौका मिले तो मैं सोनिया की चुदाई भी कर दूँ।
दोस्तो, अगर ऐसा हुआ तो उसकी कहानी मैं आप सब पाठकों को जरूर सुनाऊँगा। एक बात और उस औरत के साथ चुदाई कम से कम एक बार जरूर करना, जिसके मोमे काफ़ी मोटे-मोटे हों। वो आपको आपके अन्दाज़े से भी ज्यादा मज़े देगी। यह मेरा अज़माया हुआ तरीका है।
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