मेरी चालू बीवी-124
पहले सलोनी ही उठी, वो बिल्कुल नंगी ऐसे ही उठकर खड़ी हो गई, उसने एक कमर तोड़ अंगड़ाई ली तो उसके मदमस्त बदन का एक एक कटाव खिल कर उजागर हो उठा।
मैंने मामा जी की तरफ़ देख, साफ दिख रहा था कि वे जाग रहे हैं और उनकी निगाहें सलोनी पर ही टिकी थीं।
वैसे भी अब सात से ऊपर हो चुके थे।
पर सलोनी किसी को नहीं देख रही थी… वह अब अपने बिखरे कपड़ों को इकट्ठा करने लगी।
वहाँ टंगी साड़ी उसने उठा ली… पेटिकोट भी नीचे पड़ा था… ब्लाऊज़ मामा जी के बिस्तर के पास था… पैन्टी एक कोने से उठाई तो उसको उठाते हुए उसके चूतड़ और उनके बीच का छेद हम दोनों ने अच्छे से देखा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब वह फिर इधर-उधर निगाहें दौड़ाने लगी… शायद अपनी ब्रा ढूंढ रही थी.. उसे कहीं नहीं दिखी तो शायद उसे कुछ याद आया और वह बिना किसी संकोच किए मामा जी के कम्बल को उलट कर देखने लगी।
मामा जी भी पूरे नग्न थे, उनका सुप्त लौड़ा मुझे दिख गया था।
सलोनी की ब्रा वहीं थी, उसकी एक तनी मामा जी के लौड़े में अटकी हुई थी।
सलोनी चाहती तो ब्रा उठाकर खींच कर ही उसको निकाल सकती थी पर उसने कुछ दूसरा ही काम किया।
मेरे देखते हुए ही सलोनी ने एक हाथ से मामा जी के लौड़े को पकड़ कर ब्रा से बाहर निकाला और फिर कंबल वैसे ही ढक कर अपने कपड़े पहनने लगी।
उसके वहीं खड़ी होकर एक एक करके अपने कपड़े पहने।
इस सब में जब मुझे इतना मजा आया तो बेचारे मामा जी का क्या हाल हुआ होगा?
उसके बाद हम अपने होटल में आ गए।
उस शादी में और भी बहुत मजेदार बातें हुई… काफी अच्छी शादी रही थी।
वहाँ पर अरविन्द अंकल की पुत्री से भी हमारी मुलाक़ात हुई।
किशोरी नाम था उसका… बहुत सुन्दर थी वह… अरविन्द अंकल की पहली बीवी की औलाद थी वह !
फिर भी रिश्ते में तो नलिनी भाभी की भी पुत्री ही हुई।
उसे देखते ही मेरे दिल में उसको चूत का ख्याल आया।
बहुत ही गदराया जिस्म था उसका… और जैसे वो अपनी आँखें नचा नचा कर बातें कर रही थी, उससे साफ़ लगा कि इस लड़की को पटाना कोई कठिन कार्य नहीं!
नलिनी भाभी और मेरी प्यारी सलोनी दोनों ही मेरी निगाहें देख कर समझ गई कि मुझे क्या चाहिए।
दोनों ने मुझे बहुत प्यार से देखा जब मैं किशोरी से बात कर रहा था।
उसने टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था, उसके दोनों बच्चे उसके साथ थे मगर उसके पति कहीं दिखाई नहीं दिए।
शायद अपने बिज़नस के कारण नहीं आ पाया होगा।
किशोरी हमारे कमरे में ही ठहर गई।
कुछ देर बाद नलिनी भाभी और अरविन्द अंकल तो चले गए किसी काम से और वहाँ हम तीन लोग ही रह गए।
मैंने सोचा कि थोड़ा आराम कर लिया जाए.. वैसे भी रात भर तो सो ही नहीं पाए थे।
मैं और सलोनी एक बेड पर थे दूसरे पर किशोरी अपने बच्चों के साथ लेट गई।
सलोनी ने उसको टोका- अरे किशोरी, इतनी कसी जीन्स में कैसे आराम मिलेगा, चल बदल ले इसे…
किशोरी- अरे नहीं भाभी… थोड़ी देर ही तो लेटना है अभी, हो सकता है किसी कार्यक्रम में शामिल होना हो… फिर बदल लूंगी… अभी कपड़ों का बैग भी नीचे ही रखा है।
सलोनी- कुछ और नहीं तो जीन्स उतार कर लेट जा… यहाँ कौन है जो देखेगा?
किशोरी- ह… हट.. शिट भाभी क्या कह रही हो? भैया तो हैं यहाँ… ऐसे कैसे.. नहीं मैं ठीक हूँ ऐसे ही…
सलोनी- जैसी तेरी मर्जी… मुझे तो ऐसे आराम नहीं मिलता जब तक शरीर फ्री ना हो।
सलोनी ने अभी नाइटी पहनी हुई थी, उसका ऊपर का गाउन निकाल दिया, अंदर तो उसका वही छोटा पारदर्शी ह���स्सा ही था जिसमें से उसका गोरा और चिकना बदन पूरा दिखता है।
किशोरी- भाभी, आपने तो ब्रा पैन्टी भी नहीं पहनी?
सलोनी- अरे, मैं आराम ही तो कर रही हूँ… इसलिए नहीं पहनी, फिर तुझसे क्या शर्म?
और सलोनी बिना किसी हिचक मेरे बिस्तर में घुस गई।
मैं भी सिर्फ़ लुंगी में था… सलोनी को वैसे भी लण्ड पर हाथ रख सोने की आदत है, उसने मेरी लुंगी हटा कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया।
हम कुछ देर ही लेटे होंगे कि नलिनी भाभी की आवाज़ आई- अरे उठ ना सलोनी.. यहाँ क्या सोने ही आई है तू? ऋतु और रिया बुला रही हैं, उन्हें तैयार करना है।
सलोनी उठ कर बैठ गयी- ओह भाभी, अभी तो नींद आने लगी थी… अच्छा आप चलो.. मैं दस मिनट में आती हूँ।
यह कह कर सलोनी बाथरूम में घुस गई।
मेरी चादर भी उसके उठने से हट गई, लुंगी तो पहले सलोनी खोल गई थी।
मेरा आधा खड़ा लण्ड नलिनी भाभी के सामने था, भाभी ने झुककर मेरे लण्ड को पकड़ लिया।
नलिनी भाभी- क्या अंकुर? खुद तो सोते रहते हो पर यह हमेशा जागता ही रहता है?
मैंने उठकर नलिनी भाभी को अपनी बाहों में दबोच लिया।
भाभी- क्या कर रहे हो? किशोरी यहाँ ही है… और उसे क्यों बड़े घूर घूर कर देख रहे थे?
मैं- हाँ भाभी, आपकी बेटी माल ही ऐसा है… बहुत मजेदार है किशोरी!
नलिनी भाभी- अच्छा तो अब उसके ऊपर भी नज़र है तेरी?
मैं- तो क्या हुआ… अगर उसे भी लौड़े की तलब है तो इसमें क्या बुराई है?
मैंने किशोरी की तरफ़ देखा, वो सीधी लेटी हुई थी, पता नहीं कि सो रही थी या हमारी बातें सुन रही होगी?
उसने अपनी जीन्स की बेल्ट का बटन खोल रखा था, जहाँ से अंदर पेट का गोरा हिस्सा दिखाई दे रहा था।
मैं- यार भाभी श्री, इसकी फ़ुद्दी के दर्शन करा दो.. देखो कैसे झांक रही है झरोखे से…
मैंने नलिनी भाभी को बाँहों में कसकर उनके लाल होंठों को चूमते हुए कहा।
और उन्होंने…
कहानी जारी रहेगी।
पहले सलोनी ही उठी, वो बिल्कुल नंगी ऐसे ही उठकर खड़ी हो गई, उसने एक कमर तोड़ अंगड़ाई ली तो उसके मदमस्त बदन का एक एक कटाव खिल कर उजागर हो उठा।
मैंने मामा जी की तरफ़ देख, साफ दिख रहा था कि वे जाग रहे हैं और उनकी निगाहें सलोनी पर ही टिकी थीं।
वैसे भी अब सात से ऊपर हो चुके थे।
पर सलोनी किसी को नहीं देख रही थी… वह अब अपने बिखरे कपड़ों को इकट्ठा करने लगी।
वहाँ टंगी साड़ी उसने उठा ली… पेटिकोट भी नीचे पड़ा था… ब्लाऊज़ मामा जी के बिस्तर के पास था… पैन्टी एक कोने से उठाई तो उसको उठाते हुए उसके चूतड़ और उनके बीच का छेद हम दोनों ने अच्छे से देखा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब वह फिर इधर-उधर निगाहें दौड़ाने लगी… शायद अपनी ब्रा ढूंढ रही थी.. उसे कहीं नहीं दिखी तो शायद उसे कुछ याद आया और वह बिना किसी संकोच किए मामा जी के कम्बल को उलट कर देखने लगी।
मामा जी भी पूरे नग्न थे, उनका सुप्त लौड़ा मुझे दिख गया था।
सलोनी की ब्रा वहीं थी, उसकी एक तनी मामा जी के लौड़े में अटकी हुई थी।
सलोनी चाहती तो ब्रा उठाकर खींच कर ही उसको निकाल सकती थी पर उसने कुछ दूसरा ही काम किया।
मेरे देखते हुए ही सलोनी ने एक हाथ से मामा जी के लौड़े को पकड़ कर ब्रा से बाहर निकाला और फिर कंबल वैसे ही ढक कर अपने कपड़े पहनने लगी।
उसके वहीं खड़ी होकर एक एक करके अपने कपड़े पहने।
इस सब में जब मुझे इतना मजा आया तो बेचारे मामा जी का क्या हाल हुआ होगा?
उसके बाद हम अपने होटल में आ गए।
उस शादी में और भी बहुत मजेदार बातें हुई… काफी अच्छी शादी रही थी।
वहाँ पर अरविन्द अंकल की पुत्री से भी हमारी मुलाक़ात हुई।
किशोरी नाम था उसका… बहुत सुन्दर थी वह… अरविन्द अंकल की पहली बीवी की औलाद थी वह !
फिर भी रिश्ते में तो नलिनी भाभी की भी पुत्री ही हुई।
उसे देखते ही मेरे दिल में उसको चूत का ख्याल आया।
बहुत ही गदराया जिस्म था उसका… और जैसे वो अपनी आँखें नचा नचा कर बातें कर रही थी, उससे साफ़ लगा कि इस लड़की को पटाना कोई कठिन कार्य नहीं!
नलिनी भाभी और मेरी प्यारी सलोनी दोनों ही मेरी निगाहें देख कर समझ गई कि मुझे क्या चाहिए।
दोनों ने मुझे बहुत प्यार से देखा जब मैं किशोरी से बात कर रहा था।
उसने टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था, उसके दोनों बच्चे उसके साथ थे मगर उसके पति कहीं दिखाई नहीं दिए।
शायद अपने बिज़नस के कारण नहीं आ पाया होगा।
किशोरी हमारे कमरे में ही ठहर गई।
कुछ देर बाद नलिनी भाभी और अरविन्द अंकल तो चले गए किसी काम से और वहाँ हम तीन लोग ही रह गए।
मैंने सोचा कि थोड़ा आराम कर लिया जाए.. वैसे भी रात भर तो सो ही नहीं पाए थे।
मैं और सलोनी एक बेड पर थे दूसरे पर किशोरी अपने बच्चों के साथ लेट गई।
सलोनी ने उसको टोका- अरे किशोरी, इतनी कसी जीन्स में कैसे आराम मिलेगा, चल बदल ले इसे…
किशोरी- अरे नहीं भाभी… थोड़ी देर ही तो लेटना है अभी, हो सकता है किसी कार्यक्रम में शामिल होना हो… फिर बदल लूंगी… अभी कपड़ों का बैग भी नीचे ही रखा है।
सलोनी- कुछ और नहीं तो जीन्स उतार कर लेट जा… यहाँ कौन है जो देखेगा?
किशोरी- ह… हट.. शिट भाभी क्या कह रही हो? भैया तो हैं यहाँ… ऐसे कैसे.. नहीं मैं ठीक हूँ ऐसे ही…
सलोनी- जैसी तेरी मर्जी… मुझे तो ऐसे आराम नहीं मिलता जब तक शरीर फ्री ना हो।
सलोनी ने अभी नाइटी पहनी हुई थी, उसका ऊपर का गाउन निकाल दिया, अंदर तो उसका वही छोटा पारदर्शी ह���स्सा ही था जिसमें से उसका गोरा और चिकना बदन पूरा दिखता है।
किशोरी- भाभी, आपने तो ब्रा पैन्टी भी नहीं पहनी?
सलोनी- अरे, मैं आराम ही तो कर रही हूँ… इसलिए नहीं पहनी, फिर तुझसे क्या शर्म?
और सलोनी बिना किसी हिचक मेरे बिस्तर में घुस गई।
मैं भी सिर्फ़ लुंगी में था… सलोनी को वैसे भी लण्ड पर हाथ रख सोने की आदत है, उसने मेरी लुंगी हटा कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया।
हम कुछ देर ही लेटे होंगे कि नलिनी भाभी की आवाज़ आई- अरे उठ ना सलोनी.. यहाँ क्या सोने ही आई है तू? ऋतु और रिया बुला रही हैं, उन्हें तैयार करना है।
सलोनी उठ कर बैठ गयी- ओह भाभी, अभी तो नींद आने लगी थी… अच्छा आप चलो.. मैं दस मिनट में आती हूँ।
यह कह कर सलोनी बाथरूम में घुस गई।
मेरी चादर भी उसके उठने से हट गई, लुंगी तो पहले सलोनी खोल गई थी।
मेरा आधा खड़ा लण्ड नलिनी भाभी के सामने था, भाभी ने झुककर मेरे लण्ड को पकड़ लिया।
नलिनी भाभी- क्या अंकुर? खुद तो सोते रहते हो पर यह हमेशा जागता ही रहता है?
मैंने उठकर नलिनी भाभी को अपनी बाहों में दबोच लिया।
भाभी- क्या कर रहे हो? किशोरी यहाँ ही है… और उसे क्यों बड़े घूर घूर कर देख रहे थे?
मैं- हाँ भाभी, आपकी बेटी माल ही ऐसा है… बहुत मजेदार है किशोरी!
नलिनी भाभी- अच्छा तो अब उसके ऊपर भी नज़र है तेरी?
मैं- तो क्या हुआ… अगर उसे भी लौड़े की तलब है तो इसमें क्या बुराई है?
मैंने किशोरी की तरफ़ देखा, वो सीधी लेटी हुई थी, पता नहीं कि सो रही थी या हमारी बातें सुन रही होगी?
उसने अपनी जीन्स की बेल्ट का बटन खोल रखा था, जहाँ से अंदर पेट का गोरा हिस्सा दिखाई दे रहा था।
मैं- यार भाभी श्री, इसकी फ़ुद्दी के दर्शन करा दो.. देखो कैसे झांक रही है झरोखे से…
मैंने नलिनी भाभी को बाँहों में कसकर उनके लाल होंठों को चूमते हुए कहा।
और उन्होंने…
कहानी जारी रहेगी।