पति से निराश आशा की चुदाई
नमस्कार दोस्तो, सबसे पहले मैं आप सबका शुक्रिया कहना चाहूँगा.. कि आपने मेरी कहानीइंडियन कॉलेज गर्ल का कौमार्य भंग
पसंद की।
दोस्तो, कोमल तो इसी तरह मुझसे मिल कर चुदवाती रही.. तभी बीच में एक घटना घटी, यह बात है मेरे दीदी के ससुराल की।
मैं अपनी बी.टेक. की पढ़ाई के लिए दीदी के यहाँ ग्वालियर आ गया।
यहाँ मुझे चूत का कोई इंतज़ाम नहीं दिख रहा था।
फिर एक दिन मैं अपने जीजा जी के नए मकान पर गया.. जहाँ सिर्फ किरायेदार रहते थे। वहाँ मैंने एक शादीशुदा औरत देखी और उस मस्त माल को देखता ही रह गया। उसकी भरपूर जवानी को देख कर मेरे लण्ड में उबाल आने लगा.. पर उसके चेहरे पर उदासी सी थी।
उस दिन मैं वापस आ गया।
फिर अक्सर रोज़ मैं किसी न किसी बहाने से मकान पर जाने लगा।
एक महीना बीत गया.. अब हमारी थोड़ी ‘हाय-हैलो’ होने लगी थी।
एक दिन मैं उनके घर किराया लेने गया था.. तो वो घर पर बैठ कर रो रही थीं। मैंने उनको बुलाया.. तो वो आँखें पोंछती हुई बाहर आईं।
मैंने उनसे कहा- सॉरी.. आशा आंटी.. मैं गलत टाइम पर आ गया..
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं.. आप अन्दर आ जाओ।
मैं अन्दर आ गया।
फिर उन्होंने पूछा- कहो.. कैसे आए?
मैंने बताया- वो मौसी (दीदी की सासू माँ) ने किराये के लिए भेजा है।
वो मुझसे बात कर रही थीं और मैं उनके चूचों का नाप ले रहा था। तभी उन्होंने मुझे देखा और टोका- क्या हुआ.. कहाँ खो गए?
मैंने ‘कुछ नहीं..’ कह कर बात काट दी।
उन्होंने मुझे ��ैसे नहीं दिए.. बोलीं- अभी मैं परेशान हूँ।
वो रोने लगीं।
मैंने उन्हें चुप कराया.. तो वो कुछ शांत हुईं।
मैंने उनकी परेशानी पूछी.. तो उन्होंने बताया- मुझे बच्चा नहीं हो रहा… तुम्हारे अंकल और मुझे दोषी ठहरा कर दूसरी शादी करने जा रहे हैं। मुझे बच्चा करना है.. पर तुम्हारे अंकल के अन्दर कमी है.. मैंने उनसे कहा.. पर वो मानते नहीं हैं।
मैंने कहा- आशा आंटी.. देखो उनको आप ही समझाओ.. शायद उनको समझ आ जाए।
उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.. फिर अचानक से बोलीं- बस मुझे एक बच्चा चाहिए।
उन्होंने यह कह कर अचानक मुझे गले लगा लिया और रोने लगीं।
उनके मस्त 34 इंच के चूचे मेरे सीने में गड़ रहे थे। मैंने भी उनको तेज भींच कर दबा लिया और उनके चूतड़ पर हाथ फिराने लगा। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया- मैं कुछ करता हूँ।
मैं उनका नंबर लेकर घर आ गया।
फिर हमारी फ़ोन पर बात होने लगी और पता नहीं कब.. वो मेरे लिए सीरियस हो गई और मुझे प्यार करने लगीं।
एक दिन उसका फ़ोन आया.. उसने घर आने को कहा- शाम को घर आना।
मैं शाम को कॉलेज से आकर उनके घर चला गया।
मैंने देखा कि वो रो रही थीं। मेरे आते ही उन्होंने मुझे गले लगा लिया और मेरे होंठों को चूम लिया।
फिर मैं भी आपे से बाहर हो गया.. मैंने उनकी साड़ी को खोल दिया और बिस्तर पर डाल कर उनके मम्मों को दबाने लगा।
वो अपनी अन्तर्वासना की आग में पहले से जल रही थीं, उन्होंने अपनी ब्रा उतारी.. मैं उनके कड़क मम्मों को देखता ही रह गया.. आह्ह.. क्या मदमस्त माल था.. उनके खड़े निप्पल मेरे लण्ड की प्यास बढ़ा रहे थे।
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया। मेरे लण्ड देखते ही उनकी मानो गांड फट गई हो, बोलीं- ओह.. इतना मोटा.. कैसे जाएगा मेरे अन्दर?
वो मेरे लण्ड को हाथ में लेकर हिलाने लगीं।
मैं भी उनके मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा। वो सीत्कार करने लगीं और ‘अह्ह..ह ह..श्स् प्लीज.. नहीं..’ करने लगीं।
मैंने अब उनकी चड्डी भी उतार दी.. उनकी एकदम चिकनी चूत देख कर मेरे लण्ड से सलामी मार दी।
मैंने उनकी चूत में एक साथ दो उंगलियां डाल दीं.. तो वो कराह उठीं- आह्ह्ह.. धीमे.. दर्द हो रहा है..
उनके होंठ लरज रहे थे..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने उनकी चूत में 5 मिनट तक उंगली की.. वो इतने में ही झड़ गईं।
उन्होंने ढेर सारा पानी मेरे हाथ पर निकाल दिया और ‘ह्म्म्म्म..’ करती हुई लेट गईं।
अब वो मेरे लण्ड को पकड़ कर खेलने लगीं।
थोड़ी देर बाद मैं उठा और उनके ऊपर आकर उनके मम्मों को चूसने लगा और अपना लण्ड उनकी चिकनी चूत पर रख कर घिसने लगा।
कुछ देर बाद उन्होंने अपना हाथ आगे लाकर मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत पर सैट करके नीचे से एक तेज ठोकर मारी और ‘गप्प..’ की आवाज़ के साथ मेरा आधा लंड उनकी चूत की गहराई में उतर गया।
वो एकदम से चिल्ला उठीं- नहीं.. नहीं.. बहुत मोटा है..
मैंने भी झटका मार कर पूरा का पूरा लण्ड उनकी छोटी सी खाई में उतार दिया।
वो ‘अह्हह.. सीईईई.. उही.. माँ.. मर गई..’ करने लगी और मैं तेज ठोकर उनकी चूत में मारता रहा। फिर उनको भी मज़ा आने लगा.. तो मैंने उनको अपने ऊपर आने को कहा।
ऊपर आकर उन्होंने मेरे टोपे को अपनी चूत में सैट किया और लगातार चोदने लगीं।
बहुत देर तक चुदवाने के बाद वो थक गईं और नीचे लेट गईं.. फिर मैंने अपना देसी लण्ड उनकी चूत में उतार दिया और वो भी चिल्ला-चिल्ला कर मेरा जोश बढ़ाने लगी थीं ‘यस.. यस.. ऊऊऊऊऊ.. अससस..’
उनकी मदमस्त आवाज़ निकलने लगीं। फिर 10 मिनट की चुदाई के बाद मेरे लौड़े का पानी छूटने वाला हुआ.. तो मैंने उनकी चूत में पानी छोड़ दिया और निढाल होकर उनके ही ऊपर लेट गया।
वो मेरे बालों को सहलाने लगीं।
दोस्तो, इतना मज़ा मुझे कोमल ने भी नहीं दिया था.. जितना इस शादीशुदा आंटी ने दिया।
फिर उन्होंने कहा- काशी.. आज यहीं रुक जाओ.. आज मेरे ��ति नहीं आएंगे..
तो मैंने जीजा जी को फ़ोन करके कहा- मैं अपने दोस्त की बहन की शादी में जा रहा हूँ।
जीजाजी ने ‘हाँ’ कह दी।
फिर हम दोनों ने पूरी रात लण्ड-चूत की काम-लीला रचाई।
मित्रो, उस दिन के बाद मैंने ठान लिया कि सिर्फ शादीशुदा चूत ही ठोकूँगा।
अब सभी प्यारी चूतों से विदा चाहता हूँ.. फिर मिलूंगा.. अपनी एक कहानी लेकर..
[email protected]
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मैं अपनी बी.टेक. की पढ़ाई के लिए दीदी के यहाँ ग्वालियर आ गया।
यहाँ मुझे चूत का कोई इंतज़ाम नहीं दिख रहा था।
फिर एक दिन मैं अपने जीजा जी के नए मकान पर गया.. जहाँ सिर्फ किरायेदार रहते थे। वहाँ मैंने एक शादीशुदा औरत देखी और उस मस्त माल को देखता ही रह गया। उसकी भरपूर जवानी को देख कर मेरे लण्ड में उबाल आने लगा.. पर उसके चेहरे पर उदासी सी थी।
उस दिन मैं वापस आ गया।
फिर अक्सर रोज़ मैं किसी न किसी बहाने से मकान पर जाने लगा।
एक महीना बीत गया.. अब हमारी थोड़ी ‘हाय-हैलो’ होने लगी थी।
एक दिन मैं उनके घर किराया लेने गया था.. तो वो घर पर बैठ कर रो रही थीं। मैंने उनको बुलाया.. तो वो आँखें पोंछती हुई बाहर आईं।
मैंने उनसे कहा- सॉरी.. आशा आंटी.. मैं गलत टाइम पर आ गया..
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं.. आप अन्दर आ जाओ।
मैं अन्दर आ गया।
फिर उन्होंने पूछा- कहो.. कैसे आए?
मैंने बताया- वो मौसी (दीदी की सासू माँ) ने किराये के लिए भेजा है।
वो मुझसे बात कर रही थीं और मैं उनके चूचों का नाप ले रहा था। तभी उन्होंने मुझे देखा और टोका- क्या हुआ.. कहाँ खो गए?
मैंने ‘कुछ नहीं..’ कह कर बात काट दी।
उन्होंने मुझे ��ैसे नहीं दिए.. बोलीं- अभी मैं परेशान हूँ।
वो रोने लगीं।
मैंने उन्हें चुप कराया.. तो वो कुछ शांत हुईं।
मैंने उनकी परेशानी पूछी.. तो उन्होंने बताया- मुझे बच्चा नहीं हो रहा… तुम्हारे अंकल और मुझे दोषी ठहरा कर दूसरी शादी करने जा रहे हैं। मुझे बच्चा करना है.. पर तुम्हारे अंकल के अन्दर कमी है.. मैंने उनसे कहा.. पर वो मानते नहीं हैं।
मैंने कहा- आशा आंटी.. देखो उनको आप ही समझाओ.. शायद उनको समझ आ जाए।
उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.. फिर अचानक से बोलीं- बस मुझे एक बच्चा चाहिए।
उन्होंने यह कह कर अचानक मुझे गले लगा लिया और रोने लगीं।
उनके मस्त 34 इंच के चूचे मेरे सीने में गड़ रहे थे। मैंने भी उनको तेज भींच कर दबा लिया और उनके चूतड़ पर हाथ फिराने लगा। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया- मैं कुछ करता हूँ।
मैं उनका नंबर लेकर घर आ गया।
फिर हमारी फ़ोन पर बात होने लगी और पता नहीं कब.. वो मेरे लिए सीरियस हो गई और मुझे प्यार करने लगीं।
एक दिन उसका फ़ोन आया.. उसने घर आने को कहा- शाम को घर आना।
मैं शाम को कॉलेज से आकर उनके घर चला गया।
मैंने देखा कि वो रो रही थीं। मेरे आते ही उन्होंने मुझे गले लगा लिया और मेरे होंठों को चूम लिया।
फिर मैं भी आपे से बाहर हो गया.. मैंने उनकी साड़ी को खोल दिया और बिस्तर पर डाल कर उनके मम्मों को दबाने लगा।
वो अपनी अन्तर्वासना की आग में पहले से जल रही थीं, उन्होंने अपनी ब्रा उतारी.. मैं उनके कड़क मम्मों को देखता ही रह गया.. आह्ह.. क्या मदमस्त माल था.. उनके खड़े निप्पल मेरे लण्ड की प्यास बढ़ा रहे थे।
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया। मेरे लण्ड देखते ही उनकी मानो गांड फट गई हो, बोलीं- ओह.. इतना मोटा.. कैसे जाएगा मेरे अन्दर?
वो मेरे लण्ड को हाथ में लेकर हिलाने लगीं।
मैं भी उनके मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा। वो सीत्कार करने लगीं और ‘अह्ह..ह ह..श्स् प्लीज.. नहीं..’ करने लगीं।
मैंने अब उनकी चड्डी भी उतार दी.. उनकी एकदम चिकनी चूत देख कर मेरे लण्ड से सलामी मार दी।
मैंने उनकी चूत में एक साथ दो उंगलियां डाल दीं.. तो वो कराह उठीं- आह्ह्ह.. धीमे.. दर्द हो रहा है..
उनके होंठ लरज रहे थे..
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मैंने उनकी चूत में 5 मिनट तक उंगली की.. वो इतने में ही झड़ गईं।
उन्होंने ढेर सारा पानी मेरे हाथ पर निकाल दिया और ‘ह्म्म्म्म..’ करती हुई लेट गईं।
अब वो मेरे लण्ड को पकड़ कर खेलने लगीं।
थोड़ी देर बाद मैं उठा और उनके ऊपर आकर उनके मम्मों को चूसने लगा और अपना लण्ड उनकी चिकनी चूत पर रख कर घिसने लगा।
कुछ देर बाद उन्होंने अपना हाथ आगे लाकर मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत पर सैट करके नीचे से एक तेज ठोकर मारी और ‘गप्प..’ की आवाज़ के साथ मेरा आधा लंड उनकी चूत की गहराई में उतर गया।
वो एकदम से चिल्ला उठीं- नहीं.. नहीं.. बहुत मोटा है..
मैंने भी झटका मार कर पूरा का पूरा लण्ड उनकी छोटी सी खाई में उतार दिया।
वो ‘अह्हह.. सीईईई.. उही.. माँ.. मर गई..’ करने लगी और मैं तेज ठोकर उनकी चूत में मारता रहा। फिर उनको भी मज़ा आने लगा.. तो मैंने उनको अपने ऊपर आने को कहा।
ऊपर आकर उन्होंने मेरे टोपे को अपनी चूत में सैट किया और लगातार चोदने लगीं।
बहुत देर तक चुदवाने के बाद वो थक गईं और नीचे लेट गईं.. फिर मैंने अपना देसी लण्ड उनकी चूत में उतार दिया और वो भी चिल्ला-चिल्ला कर मेरा जोश बढ़ाने लगी थीं ‘यस.. यस.. ऊऊऊऊऊ.. अससस..’
उनकी मदमस्त आवाज़ निकलने लगीं। फिर 10 मिनट की चुदाई के बाद मेरे लौड़े का पानी छूटने वाला हुआ.. तो मैंने उनकी चूत में पानी छोड़ दिया और निढाल होकर उनके ही ऊपर लेट गया।
वो मेरे बालों को सहलाने लगीं।
दोस्तो, इतना मज़ा मुझे कोमल ने भी नहीं दिया था.. जितना इस शादीशुदा आंटी ने दिया।
फिर उन्होंने कहा- काशी.. आज यहीं रुक जाओ.. आज मेरे ��ति नहीं आएंगे..
तो मैंने जीजा जी को फ़ोन करके कहा- मैं अपने दोस्त की बहन की शादी में जा रहा हूँ।
जीजाजी ने ‘हाँ’ कह दी।
फिर हम दोनों ने पूरी रात लण्ड-चूत की काम-लीला रचाई।
मित्रो, उस दिन के बाद मैंने ठान लिया कि सिर्फ शादीशुदा चूत ही ठोकूँगा।
अब सभी प्यारी चूतों से विदा चाहता हूँ.. फिर मिलूंगा.. अपनी एक कहानी लेकर..
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