मेरी चालू बीवी-82
सम्पादक – इमरान
जब दोनों मेरे फ्लैट के अंदर चले गए… मैंने देखा अंकल का हाथ पूरा फैला हुआ भाभी के चूतड़ों पर था।
मतलब यह बुड्ढा भी साला पूरा चालू था।
तभी भाभी ने पीछे मुड़कर देखा, मैंने हंसते हुए खुद तो ऑफिस जाने का इशारा किया और अपने एक हाथ से गोल बनाकर दूसरी हाथ की उंगली उसमें डालते हुए चुदाई का इशारा किया… ‘मजे करो…’
उन्होने मुझे गुस्से से देखा पर मैं दोनों को वहीं छोड़कर अपने ऑफिस के लिए निकल गया।
ऑफिस जाते हुए मैं ये भी सोच रहा था कि तीन घंटे हो गए ये अरविन्द अंकल सलोनी को छोड़कर अभी तक आये क्यों नहीं?
क्या वो वहीं रुके होंगे? या उसको कहीं ओर ले गए होंगे?
घर से गाड़ी लेकर मैं जब ऑफिस के लिए निकला तो बहुत खुश था… नलिनी भाभी ने मुझे असीम सुख दिया था, उनके साथ नंगे होकर मैंने बहुत मजे किये थे… उनकी चूत को जमकर चोदा था… साथ ही साथ उनकी गांड के भी मजे लिए थे… उन्होंने भी बहुत जमकर चुदाई करवाई थी… किसी भी बात के लिए मना नहीं किया था बल्कि खुद आगे बढ़ चढ़कर साथ दिया था, दोनों अच्छी तरह नंगे होकर बाथरूम में नहाये थे।
उससे भी ज्यादा उनके दादाजी के साथ मस्त व्यवहार ने मुझे मदमस्त कर दिया था…
पर इतना कुछ होकर भी मेरा मन अशांत था… मैं कभी सलोनी के बारे में सोचने लगता कि वो क्या कर रही होगी…
अभी स्कूल में होगी या अरविन्द अंकल के साथ ही मस्ती कर रही होगी?
या फिर स्कूल में विकास के साथ?
केवल मस्ती ही कर रही होगी या फिर चुदाई का भी आनन्द ले रही होगी?
फिर मेरा मन भटककर नलिनी भाभी की ओर ��ला जाता.. भले ही मुझसे चुदवाकर वो पूरी तरह संतुष्ट हो गई थीं मगर यह साला सेक्स ऐसी चीज है जिससे मन कभी नहीं भरता।
और ऊपर से वो दादाजी… क्या नलिनी भाभी को पूरा नंगा ऐसे देखकर उनका लण्ड भी खड़ा हो गया होगा?
कितने मजे से वो नलिनी भाभी की नंगी गांड का मजा ले रहे थे, उनके हाथ लगातार ही भाभी के चूतड़ को सहला रहे थे…
और भाभी भी तो कोई विरोध नहीं कर रही थीं।
मैं अभी ये सब सोच ही रहा था कि मेरे सेल फ़ोन बजने लगा।
अरे… यह तो नलिनी भाभी की कॉल है… इस समय वो मुझे क्यों फ़ोन कर रही हैं?
मैं अभी उठाने वाला ही था कि भाभी की वीडियो काल आई…
अब यह क्या? वो क्या बताना चाह रही थी?
मैंने फोन सही से एडजस्ट किया और वीडियो शुरू किया।
वाह भाभी जी तुस्सी तो बहुत ही ग्रेट निकली, जो मैंने अभी तक नहीं सोचा था, वो उन्होंने करके दिखा दिया।
अब तो इस ट्रिक से मैं बहुत ही मजा ले सकता था वो भी लाइव शो के…
उन्होंने अपना फोन मेरे बेडरूम में ही बेड के कॉर्नर टेबल पर रखा था… अब कैसे, यह तो उनको ही पता होगा पर मुझे मेरा बेड और कमरे का काफी हिस्सा नजर आ रहा था।
उस दृश्य को देखकर मुझे इतनी ख़ुशी नहीं हुई जितनी यह सोचकर हो रही थी कि इस तरह तो मैं आगे बहुत कुछ लाइव देख सकता था।
इस समय बेड पर दादाजी अपने पैर नीचे लटकाकर बैठे थे… ख़ास बात यह थी कि उन्होंने पैंट नहीं पहनी थी, उनकी पैंट उनके पास ही बिस्तर पर रखी थीन नलिनी भाभी उनके पैरों के पास नीचे बैठी थी।
पहली नजर में तो मुझे लगा कि वो उनके लण्ड के साथ खेल रही हैं या उनके लण्ड को चूस रही हैं…
मगर ऐसा नहीं था..
वो नीचे बैठकर उनके घुटने पर कोई दवाई लगा रही थी या फिर किसी तेल से मालिश कर रही थी।
ध्यान से देखने पर मैंने यह भी देख लिया कि दादाजी ने अंडरवियर भी पहना हुआ है।
पर हाँ नलिनी भाभी अभी तक नंगी ही थी, उन्होंने अभी तक कुछ नहीं पहना था।
अब यह वो ही जाने कि उन्होंने खुद नहीं पहना था या दादाजी ने उनको कुछ ना पहनने के लिए जोर दिया था।
मगर पूरी नंगी नलिनी भाभी जो इस समय दादाजी की सेवा में लगी थी, उनको इस तरह देखना… मुझे किसी भी ब्लू फिल्म से कहीं ज्यादा सेक्सी लग रहा था।
अब मैंने अपने फोन का वॉल्यूम भी ओन किया, मैं अब सुनना भी चाह रहा था कि वो आपस में क्या बात कर रहे हैं।
मैंने पूरा ध्यान उन्हीं पर लगाने के लिए एक सही सी जगह देख गाड़ी पार्क कर ली और उस वीडियो का मजा लेने लगा।
मुझे उनकी आवाजें भी साफ़ साफ़ सुनाई देने लग���।
��ादाजी- अहा अहा अह्ह्ह्ह… बस बेटा, अब लगता है सही हो गया है… अब रहने दे…
नलिनी भाभी- दादाजी, आप भी ना इस उम्र में भी इधर उधर घूमते फिरते रहते हैं… घर बैठा करो ना… कहीं सड़क पर गिर जाते ना तो कोई न कोई गाड़ी काम कर जाती।
दादाजी- हा हा… तू भी ना नलिनी… अगर घर बैठा रहा तब तो वैसे ही मर जाऊँगा, चलता फिरता रहता हूँ तभी इतने बसंत देख भी लिए..
नलिनी भाभी- अच्छा? अभी भी बसंत देखने की बात करते हो… जबकि पूरे पिलपिले हो गए हो !
दादाजी- बेटा जी आम जितना पिलपिला हो जाता है, उतना मजा देता है।
नलिनी भाभी- हाँ हाँ, बस रहने दीजिये, अब नहीं खाना मुझे पिलपिला आम… बस एक से ही भरपाई मैं तो !
दादाजी- तो क्या अरविन्द बेकार हो गया है… छोड़ तू उसको एक बार मेरे को चख ले, फिर कहना !
नलिनी भाभी हंसती हुए उठी…
पता नहीं वो मान गईं थीं या सिर्फ दादाजी का मजाक उड़ा रही थीं…
मगर वो बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में नंगी ही बिस्तर पर चढ़कर खड़ी हुईं, फिर एक अंगड़ाई ली और फिर अपने हाथ सर के नीचे रख लेट गई, उनके पैर दादाजी की ओर ही थे…
दादाजी ने भी उनकी ओर अपने को घुमा लिया और अपना एक हाथ भाभी की चिकनी जांघ पर रख दिया।
मेरा दिल धड़कने लगा.. क्या भाभी अब दादाजी से भी चुदवायेंगी?
कैसा लगेगा जब 80 साल का एक बुड्ढा इतनी मस्त जवानी को पेलेगा…!!!???
कहानी जारी रहेगी।
सम्पादक – इमरान
जब दोनों मेरे फ्लैट के अंदर चले गए… मैंने देखा अंकल का हाथ पूरा फैला हुआ भाभी के चूतड़ों पर था।
मतलब यह बुड्ढा भी साला पूरा चालू था।
तभी भाभी ने पीछे मुड़कर देखा, मैंने हंसते हुए खुद तो ऑफिस जाने का इशारा किया और अपने एक हाथ से गोल बनाकर दूसरी हाथ की उंगली उसमें डालते हुए चुदाई का इशारा किया… ‘मजे करो…’
उन्होने मुझे गुस्से से देखा पर मैं दोनों को वहीं छोड़कर अपने ऑफिस के लिए निकल गया।
ऑफिस जाते हुए मैं ये भी सोच रहा था कि तीन घंटे हो गए ये अरविन्द अंकल सलोनी को छोड़कर अभी तक आये क्यों नहीं?
क्या वो वहीं रुके होंगे? या उसको कहीं ओर ले गए होंगे?
घर से गाड़ी लेकर मैं जब ऑफिस के लिए निकला तो बहुत खुश था… नलिनी भाभी ने मुझे असीम सुख दिया था, उनके साथ नंगे होकर मैंने बहुत मजे किये थे… उनकी चूत को जमकर चोदा था… साथ ही साथ उनकी गांड के भी मजे लिए थे… उन्होंने भी बहुत जमकर चुदाई करवाई थी… किसी भी बात के लिए मना नहीं किया था बल्कि खुद आगे बढ़ चढ़कर साथ दिया था, दोनों अच्छी तरह नंगे होकर बाथरूम में नहाये थे।
उससे भी ज्यादा उनके दादाजी के साथ मस्त व्यवहार ने मुझे मदमस्त कर दिया था…
पर इतना कुछ होकर भी मेरा मन अशांत था… मैं कभी सलोनी के बारे में सोचने लगता कि वो क्या कर रही होगी…
अभी स्कूल में होगी या अरविन्द अंकल के साथ ही मस्ती कर रही होगी?
या फिर स्कूल में विकास के साथ?
केवल मस्ती ही कर रही होगी या फिर चुदाई का भी आनन्द ले रही होगी?
फिर मेरा मन भटककर नलिनी भाभी की ओर ��ला जाता.. भले ही मुझसे चुदवाकर वो पूरी तरह संतुष्ट हो गई थीं मगर यह साला सेक्स ऐसी चीज है जिससे मन कभी नहीं भरता।
और ऊपर से वो दादाजी… क्या नलिनी भाभी को पूरा नंगा ऐसे देखकर उनका लण्ड भी खड़ा हो गया होगा?
कितने मजे से वो नलिनी भाभी की नंगी गांड का मजा ले रहे थे, उनके हाथ लगातार ही भाभी के चूतड़ को सहला रहे थे…
और भाभी भी तो कोई विरोध नहीं कर रही थीं।
मैं अभी ये सब सोच ही रहा था कि मेरे सेल फ़ोन बजने लगा।
अरे… यह तो नलिनी भाभी की कॉल है… इस समय वो मुझे क्यों फ़ोन कर रही हैं?
मैं अभी उठाने वाला ही था कि भाभी की वीडियो काल आई…
अब यह क्या? वो क्या बताना चाह रही थी?
मैंने फोन सही से एडजस्ट किया और वीडियो शुरू किया।
वाह भाभी जी तुस्सी तो बहुत ही ग्रेट निकली, जो मैंने अभी तक नहीं सोचा था, वो उन्होंने करके दिखा दिया।
अब तो इस ट्रिक से मैं बहुत ही मजा ले सकता था वो भी लाइव शो के…
उन्होंने अपना फोन मेरे बेडरूम में ही बेड के कॉर्नर टेबल पर रखा था… अब कैसे, यह तो उनको ही पता होगा पर मुझे मेरा बेड और कमरे का काफी हिस्सा नजर आ रहा था।
उस दृश्य को देखकर मुझे इतनी ख़ुशी नहीं हुई जितनी यह सोचकर हो रही थी कि इस तरह तो मैं आगे बहुत कुछ लाइव देख सकता था।
इस समय बेड पर दादाजी अपने पैर नीचे लटकाकर बैठे थे… ख़ास बात यह थी कि उन्होंने पैंट नहीं पहनी थी, उनकी पैंट उनके पास ही बिस्तर पर रखी थीन नलिनी भाभी उनके पैरों के पास नीचे बैठी थी।
पहली नजर में तो मुझे लगा कि वो उनके लण्ड के साथ खेल रही हैं या उनके लण्ड को चूस रही हैं…
मगर ऐसा नहीं था..
वो नीचे बैठकर उनके घुटने पर कोई दवाई लगा रही थी या फिर किसी तेल से मालिश कर रही थी।
ध्यान से देखने पर मैंने यह भी देख लिया कि दादाजी ने अंडरवियर भी पहना हुआ है।
पर हाँ नलिनी भाभी अभी तक नंगी ही थी, उन्होंने अभी तक कुछ नहीं पहना था।
अब यह वो ही जाने कि उन्होंने खुद नहीं पहना था या दादाजी ने उनको कुछ ना पहनने के लिए जोर दिया था।
मगर पूरी नंगी नलिनी भाभी जो इस समय दादाजी की सेवा में लगी थी, उनको इस तरह देखना… मुझे किसी भी ब्लू फिल्म से कहीं ज्यादा सेक्सी लग रहा था।
अब मैंने अपने फोन का वॉल्यूम भी ओन किया, मैं अब सुनना भी चाह रहा था कि वो आपस में क्या बात कर रहे हैं।
मैंने पूरा ध्यान उन्हीं पर लगाने के लिए एक सही सी जगह देख गाड़ी पार्क कर ली और उस वीडियो का मजा लेने लगा।
मुझे उनकी आवाजें भी साफ़ साफ़ सुनाई देने लग���।
��ादाजी- अहा अहा अह्ह्ह्ह… बस बेटा, अब लगता है सही हो गया है… अब रहने दे…
नलिनी भाभी- दादाजी, आप भी ना इस उम्र में भी इधर उधर घूमते फिरते रहते हैं… घर बैठा करो ना… कहीं सड़क पर गिर जाते ना तो कोई न कोई गाड़ी काम कर जाती।
दादाजी- हा हा… तू भी ना नलिनी… अगर घर बैठा रहा तब तो वैसे ही मर जाऊँगा, चलता फिरता रहता हूँ तभी इतने बसंत देख भी लिए..
नलिनी भाभी- अच्छा? अभी भी बसंत देखने की बात करते हो… जबकि पूरे पिलपिले हो गए हो !
दादाजी- बेटा जी आम जितना पिलपिला हो जाता है, उतना मजा देता है।
नलिनी भाभी- हाँ हाँ, बस रहने दीजिये, अब नहीं खाना मुझे पिलपिला आम… बस एक से ही भरपाई मैं तो !
दादाजी- तो क्या अरविन्द बेकार हो गया है… छोड़ तू उसको एक बार मेरे को चख ले, फिर कहना !
नलिनी भाभी हंसती हुए उठी…
पता नहीं वो मान गईं थीं या सिर्फ दादाजी का मजाक उड़ा रही थीं…
मगर वो बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में नंगी ही बिस्तर पर चढ़कर खड़ी हुईं, फिर एक अंगड़ाई ली और फिर अपने हाथ सर के नीचे रख लेट गई, उनके पैर दादाजी की ओर ही थे…
दादाजी ने भी उनकी ओर अपने को घुमा लिया और अपना एक हाथ भाभी की चिकनी जांघ पर रख दिया।
मेरा दिल धड़कने लगा.. क्या भाभी अब दादाजी से भी चुदवायेंगी?
कैसा लगेगा जब 80 साल का एक बुड्ढा इतनी मस्त जवानी को पेलेगा…!!!???
कहानी जारी रहेगी।